साहिबाबाद : ट्रांस हिंडन आर०डब्ल्यू०ए० फैडरेशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र शर्मा के निर्देश पर वसुंधरा सेक्टर 15 आवास विकास की शिखर एनक्लेव सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने वसुंधरा में सरकारी अस्पताल बनाने की माँग को लेकर आवास विकास परिषद व उत्तर प्रदेश सरकार के विरूद्ध नाराज़गी जताते हुए प्रदर्शन किया। यहाँ रहने वाली लाखों की आबादी के लिए अभी तक किसी भी सरकारी अस्पताल की सुविधा नहीं है। इस क्षेत्र के लोगों द्वारा काफी समय से सरकारी अस्पताल खोलने की मांग जोरों से उठ रही है। रेजिडेंट संदीप गुप्ता का कहना है कि शासनादेश के बाद भी आवास विकास परिषद ज़मीन मुहैया कराने में कोताही बरत रहा है। उनका कहना है कि जल्द से जल्द वसुंधरा में सरकारी अस्पताल का निर्माण हो, नहीं तो आंदोलन को और गति दी जाएगी। प्रदर्शन के दौरान हरीश कुमार वशिष्ठ, सतीश राणा, राजेश पवार, सुरेंदर पठानिया, राज सिंह, विकास गोयल, एस०एस० नेगी, यशवीर बंसल, आर०एस० कंडहारी, अशोक राठौर व संदीप कुमार गुप्ता सहित रेखा सिंह, अंजू शर्मा, शिल्पी गुप्ता व किरण आदि मौजूद रहे।
मई 2018 में सी०एम०ओ० डॉ. एन.के. गुप्ता ने वसुंधरा के लोगों को बताया था कि स्वास्थ्य विभाग ने वसुंधरा में सरकारी अस्पताल के लिए आवास विकास परिषद से जमीन की मांग की थी। उन्होंने वसुंधरा में आवास विकास को पत्र लिखकर 100 बेड का सरकारी अस्पताल बनाने के लिए 7,392 वर्ग मीटर जगह देने को कहा था। लेकिन उस समय परिषद ने फ्री या सस्ते दामों पर जमीन मुहैया कराने से इनकार कर दिया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में शासन को अवगत कराने के बाद प्रयास बंद कर दिया। दिसंबर 2016 में भी वसुंधरा में सरकारी अस्पताल की मांग कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर आयी थी जब उस समय आवास आयुक्त रहें आर०पी० सिंह जी ने ले-आउट में एक नहीं दो अस्पतालों के लिए जमीन आरक्षित करने की बात कही थी, ये अस्पताल प्राइवेट होंगे या सरकारी इस बारे में लोगों को संशय था। उन्होंने वसुंधरा सेक्टर 8 में ही एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, क्षेत्रफल करीब 17,000 वर्गमीटर और मिनी अस्पताल, क्षेत्रफल लगभग 2,500 वर्गमीटर का बनाये जाने के लिए ज़मीन देने की बात कही थी।
लोगों की मानें तो वसुंधरा सेक्टर 7 और 8 की 102 एकड़ जमीन पर आवास विकास परिषद को अस्पताल, स्कूल समेत अन्य कम्युनिटी सुविधाओं का विकास करना था। आवास विकास परिषद द्वारा कुछ वर्षों पहले दोनों सेक्टरों की जमीन का लैंडयूज चेंज किए जाने को लेकर लोगों को यह आशंका थी कि कम्युनिटी फैसिलिटी विकसित नहीं होंगी। इसके बाद लोगों ने मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी।