श्री कृष्ण कहते हैं,मेरी सेवा से बढ़कर प्रत्येक जीव की सेवा है : स्वामी हरिनारायण गिरी महाराज
जनसागर टुडे संवाददाता
जब तक लॉकडाउन है तब तक बेजुबान जानवरों की खाने पीने की व्यवस्था सेवा जारी रहेगी श्री कृष्ण कहते हैं,मेरी सेवा से बढ़कर प्रत्येक जीव की सेवा है | स्वामी हरिनारायण गिरी महाराज । क्योकि सृष्टि के कण कण में मेरा वास है।और जब मैं देखता हूं कि लोग जरूरतमंद की सेवा कर रहे हैं।
पशु,पक्षी,जीव-जंतु की सेवा से मुझे अत्यंत प्रसन्न्ता होती है और ऐसे लोग ही मेरे सच्चे भक्त हैं।मुझे पाने की इच्छा रखने वाले भक्त अन्य जीवों की सेवा करे,क्योंकि यही सेवा सीधे मुझे मिलती है पढिये कथा।एक बार कृष्ण भगवान राधा जी के साथ विहार कर रहे थे ।तो उन्होंने देखा,एक साधु मार्ग में बैठा,बड़े ही मस्ती से भजन कर रहा था और बीच बीच मे आंखे खोलकर अपने पात्र को देखे जा रहा था कि, उसमें लोगों ने कितना धन दिया है
भगवान कृष्ण उसे देखकर मुस्कराने लगे। और आगे चलते हुए एक स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने देखा,एक ज्ञानी पूर्ण लग्न से लोगों को कथा सुना रहा था।और बीच बीच मे आ रहे लोग जो कुछ भेंट आदि ला कर चढ़ा रहे थे, आंखे खोल कर उस भेंट को देख कर खुश हो जाता था। भगवान श्री कृष्ण इन ज्ञानी पंडित को देखकर मुस्कराने लगे और आगे बढ़ गए ।
कुछ दूरी पर भगवान ने देखा एक व्यक्ति जो की दिखने में निर्धन प्रतीत हो रहा था,नगर में आये भूकम्प के कारण,इधर उधर बेसहारा लोगों को ढूंढ ढूंढ कर उन्हें अपने कंधे पर डालकर चिकित्सा के लिए ले जा रहा था।भगवान श्री कृष्ण यह देखकर गम्भीर हो गए,तो राधा रानी ने भगवान से पहले दोनों लोगों को देखकर मुस्कराने और फिर अब गम्भीर होने का कारण पूछा।
भगवान कृष्ण बोले, राधे पहले साधु को देखा वो भक्ति तो कर रहा था लेकिन उसका मोह माया में था।और फिर वो ज्ञानी भी कथा सुनाकर पुण्य का भागी बनने का प्रयास कर रहा था किन्तु वो भी मोह बन्धन में फसा था।और तीसरा व्यक्ति जो अपने निस्वार्थ कर्म में व्यस्त था।
दुनिया मे लोग मेरी भक्ति कर मुझे प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, किन्तु मैं केवल ऐसे व्यक्तियों से ही प्रसन्न होता हूँ, जो सदैव,निस्वार्थ दूसरे जीवो की सेवा करते हैं।इन्ही लोगो मे मेरी आत्मा बसती है