जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के जिला अध्यक्ष प्रताप चौधरी एवं जिला उपाध्यक्ष हर्षवर्धन यादव ने प्रशासनिक आंकड़ों को तथ्यों सहित झुठलाते हुए कहा कि प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में 3 मई तक एक सप्ताह में केवल 276 मृत्यु दर्ज हुईं, जबकि श्मशान घाट के रिकॉर्ड के अनुसार इस दौरान लखनऊ में 400 मृतकों के अंतिम संस्कार हुए। वहीं, कानपुर में 24 अप्रैल तक एक सप्ताह में 66 मृत्यु (प्रशासनिक आंकड़ा) दर्ज हुई, ।
जबकि श्मशान घाट में जलाई गई चिताओं का आंकड़ा 462 था। गाजियाबाद में 18 अप्रैल तक एक सप्ताह में कई मौतें हुईं, जिनमें से 17 अप्रैल को एक भी मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई।
लेकिन,पड़ताल करने पर श्मशान में रोजाना 50 से ज्यादा शव जलने की बात सामने आई। आगरा में 17 अप्रैल का सरकारी आंकड़ा 4 मौतों का है, लेकिन आगरा के केवल ताजगंज शमशान घाट में 47 चिताएं जली। बिजनौर के 4 दिनों में एक भी मौत सरकारी कागजों में दर्ज नहीं हुई, लेकिन यहां के श्मशान में 100 मृत्यु व अंतिम संस्कार का पता चला। 7 मई को हमीरपुर क्षेत्र में यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरती देखी गयीं। लोगों का मानना है।
कि श्मशान घाट में जगह न मिलने के कारण परिजनों ने यह शव यमुना में बहा दिए। अगले दिन इन शवों को
कुत्ते खाते मिले। श्मशान घाटों में पड़ताल करने पर पता लगा कि वहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए पूरे दिन लाइन में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे हृदयविदारक दृश्य मानवता को शर्मसार करने व सरकार की विफलता प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त है।