जनसागर टुडे संवाददाता
देखो कैसा वर्तमान दौर है भयवहीँ परिदृश्य चहुँओर है कही दबी दबी सिसकियाँ कही विलाप का शोर है हर व्यक्ति भाव विभोर है। विचलित कर देने वाली घटनाये अपनो को बाहों मे सिमटाएँ प्राण रक्षा की खातिर सब कुछ अपना दे रहे गवायें और शमशानों मे पटी हुई लाशें अपने दाह संस्कार के इंतजार मे देख रही टकटकी लगाए जल्दी मेरा भी नंबर आ जाये मृत्यु लोक से मुक्ति मिल जाये कुछ सांसे गिनती की लाया था अब यहाँ से प्रस्थान हो जाये इतने घोर अंधकार मे भी आशाओ की बाती जलाएं ले विश्वास ह्रदय मे परिवर्तन का असंख्य हाथ मदद को आये नमन इस मिट्टी के संस्कारों को इतनी नृशंस विपदाओं मे भी निःस्वार्थ भाव से प्रेरित होकर एक दूजे के लिए आगे आये लचर हुई व्यवस्थाएं कौन किसको दोषी ठहराएँआओ मित्रो अभियान चलाएँ अपने अपने हिस्से के दिये को मिलजुल कर सभी जलाएं
और वर्तमान के घोर तिमिर मे एक दीप्तमान प्रकाश फैलाएं ऐसा अदभुत विश्वास जगाएं
अपनो मे एहसास जगाएँ वायरस रूपी इस विपदा को दृढ़ निश्चय कर इसे हरायें।
(मेरी कलम से)
संजय कुशवाह