Sunday, November 24, 2024
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हल्के प्रभाव वालों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं : डा. ढाका

जनसागर टुडे : धीरेन्द्र अवाना

नोएडा। कोरोना के हल्के प्रभाव वालों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं, इसके ठीक उलट यदि बीमारी के गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं और कोई गंभीर बीमारी पहले से है, तो तुरंत अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए, इसमें देरी परेशानी का सबब बन सकती है। यह बात संयुक्त जिला अस्पताल के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं अवकाश प्राप्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीबी ढाका ने बुधवार को बातचीत में कही।

उन्होंने कहा कोरोना के मामलों में अपनी हालत की मॉनिटरिंग स्वयं रोगी को करनी होगी, कुछ मापदंडों के आधार पर वह अपनी स्थिति जान सकता है। उन्होंने कहा किसी भी स्थिति में यदि सांस लेने में दिक्कत आ रही हो, या ऑक्सीजन लेवल लगातार घट रहा हो तो चिकित्सक की देखरेख में उपचार होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे जाने पर सतर्क हो जाना चाहिये।

डा. ढाका ने बताया हल्के प्रभाव वाले कोरोना से प्रभावित घर पर कैसे निपटें। उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा जा रहा कि दूसरे रोगी को देख कर लोग अपने आप दवा लेने लग जाते हैं यह गलत है, केवल चिकित्सक द्वारा बतायी गयी दवा का ही सेवन करें। खुद से इलाज बिल्कुल नहीं करें। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि लहसुन, कपूर और अजवाइन जैसी घरेलू चीजों से ऑक्सीजन लेवल में कोई सुधार नहीं होता है।

अगर शरीर का तापमान बहुत अधिक हो, और दर्द हो तो हर चार से छह घंटे में पेरासिटामोल (500 मिलीग्राम) खाएं। ध्यान रहे कि 24 घंटे में पेरासिटामोल की चार खुराक से ज्यादा न लें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। पानी पीते रहें और अगर आपको किसी चीज का स्वाद पता न भी चल रहा हो तो भी पौष्टिक भोजन करते रहें।

उन्होंने कहा कि हालांकि किसी तरह के खाने से कोविड 19 का उपचार होने की बात पता नहीं चली है, लेकिन पौष्टिक खाने से आपके शरीर को जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलेगी। बुखार ज्यादा होने पर पानी से भीगी हुई तौलिया या रूमाल अपने सिर पर रखें (टेपिड स्पॉंजिंग)। ध्यान रखें कि इसके लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल नहीं करना है।

उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत रोगी तुरंत उपचार और सावधानी से ठीक हो सकते हैं, इस लिए डरें नहीं, सावधान रहें। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोरोना के लक्षण दिखें, जैसे सर्दी, जुखाम, बदन दर्द, खांसी, जिसमें सांस और ऑक्सीजन सामान्य हो, चिकित्सक की सलाह पर एक टाइमटेबल को अपनाएं-

पहला दिन- दिन में दो बार भाप लें, गुनगुना पानी पीते रहें, पानी में नमक डालकर दो बार गरारे करें। बुखार के लिए पैरासिटामोल लें और सपोर्ट के लिए विटामिन सी, जिंक, एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन लें। परिवार से अलग रहें, भरपूर आराम करें और धैर्य रखें।

दूसरा दिन- पहले दिन के रूटीन को लागू रखें, कोरोना टेस्ट आरटी-पीसीआर कराएं। प्रत्येक छह घंटे में ऑक्सीजन मॉनिटर करें, बुखार नापें, फेफड़ों का व्यायाम करें।

तीसरा दिन- पहले दिन के रूटीन को लागू रखें। चिकित्सक की सलाह से सीआरपी, डी डाइमर, सीबीसी, आरबीसी जांच कराएं। पेंटासिड,आइवरमेक्टिन, मॉन्टेमैक दवा का सेवन करें।

चौथा-पांचवां दिन- यदि तबियत ठीक रहे और ऑक्सीजन लेवल 94 के ऊपर रहे तो यही दवा लेते रहें।

छठा दिन- ऑक्सीजन लेवल 95 के ऊपर और बुखार उतरने लगे तो इसका मतलब आप स्वस्थ हो रहे हैं। यदि बुखार बना रहे और ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो तो छाती का सीटी स्कैन कराएं।

जांच से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

यदि पांच दिन कोई लक्षण नहीं होते तो आरटी-पीसीआर, छाती का सीटी स्कैन, सीआरपी, डी-डाइमर की जांच की जरूरत नहीं। ऑक्सीजन कम हो लेकिन तकलीफ नहीं तो हैप्पी हाइपॉक्सिया हो सकता है, इसलिए गंभीरता रखें। छठवें दिन से पहले ऑक्सीजन लेवल 95 से ऊपर रहने पर सीटी स्कैन की जरूरत नहीं।

कब भर्ती होना है

तेज बुखार जो दवा से नहीं उतरे, यदि ऑक्सीजन की जरूरत लगातार पड़े, साथ में ह्रदय, डायबिटीज व अन्य बीमारियां हों तो अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। ऑक्सीजन देने के बाद भी अगर ऑक्सीजन लेवल 90 से कम हो रहा या ऊपर-नीचे हो रहा हो तो भी अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।

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