Friday, November 22, 2024
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होमधर्मसर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी अक्षय तृतीया।

सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी अक्षय तृतीया।

स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है अक्षय तृतीया
जनसागर टुडे संवाददाता

अक्षय तृतीया का पर्व प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है इसे अक्षय तृतीया क्यों कहते हैं और यह स्वयं सिद्ध मुहूर्त क्यों है? अक्षय तृतीया के दिन बहुत सी पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्वपूर्ण घटनाएं इससे जुड़ी हुई है। त्रेता युग का आरंभ वैशाख शुक्ल तृतीया को ही हुआ था। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का  जन्म भी इसी तिथि को हुआ था । भगवान परशुराम चिरंजीवी महापुरुष हैं

इसलिए यह तिथि चिरंजीवी अथवा अक्षय तृतीया कहलाती  हैं महाभारत काल में युधिष्ठिर को वनवास काल में भगवान ने इसी दिन अक्षय पात्र दिया था। इस दिन भगवान विष्णु के नरनारायण रूप का भी अनुष्ठान किया जाता है ।नर या मनुष्यों में नारायण  की कामना को ध्यान में रखते हुए गरीबों व दीन दुखियों की सहायता करनी चाहिए।  उन्हें इस दिन भोजन आदि खिलाकर प्रसन्न करना चाहिए।

ऐसा करने से उसको इसके अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को आ रही है ।यह प्रातः 5:38 बजे से अगले दिन प्रातः 8:00 बजे तक रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी उदयातिथि में है। इसलिए सर्वार्थ सिद्धि योग व मानस योग बना रहा है। रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र भी इस तिथि में विचरण करेंगे ।जो बहुत शुभ हैं।

प्रात: काल वृषभ लग्न में चार ग्रहों का गोचर हो रहा है; बुध ,शुक्र, राहु और चंद्रमा इनके विशेष योग से और केतु की लग्न पर दृष्टि होने से इस तिथि का महत्व और बढ़ गया है। इस दिन  स्वयं सिद्धि मुहूर्त होने से कोई भी विशेष कार्य  जैसे विवाह,गृह प्रवेश, भूमि पूजन ,नया व्यापार आरंभ करना बिना किसी विद्वान से पूछे भी सम्पन्न कर सकते हैं ।यह अनसूझ विवाह मुहूर्त होता है।

ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर विष्णु और लक्ष्मी माता का प्रभुत्व होता है जिस कारण इस दिन नवीन वस्त्र ,आभूषण, गृह उपयोग की सामग्री खरीदने से दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होती है।

14 मई को स्थायी कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश ,गृह निर्माण, वास्तु पूजा आदि कार्य के लिए( स्थिर लग्न )सिंह लग्न बहुत ही उपयोगी है। सिंह लग्न दोपहर 12:05 से 14:22 तक रहेगा ।इसमें आप भूमि, भवन ,विवाह संबंधी कार्य कर सकते हैं।चलायमान कार्य जैसे व्यापार, दुकान, वाहन खरीदना, नया व्यापार आरंभ करना यह सब चर लग्न में शुभ होते  हैं। चर लग्न शाम 16:39बजे  से 18:58 तक रहेगा।

इन महुर्तों में आप अपने कल्याण के लिए जो भी उचित कार्य करना चाहे,कर सकते हैं ।इसमें किसी ब्राह्मण विद्वान से पूछने की आवश्यकता नहीं होती। वैसे यह वैशाख मास का सर्वोत्तम विवाह मुहूर्त है ।इसमें बहुत अधिक मात्रा में  शादियां होती हैं ।किंतु इस बार इस पर कोरोनावायरस  का जबरदस्त साया है।इसलिए प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार आप अपना कार्य कर सकते हैं।

पंडित शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य
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