जनसागर टुडे संवाददाता
इस प्रकर्ति में कुछ भी स्थिर नही है सब परिवर्तनशील है बस हमको समझना है कि इस मुश्किल वक्त में किस तरह इस प्रकृति व मानवता की सेवा की जा सकती है । सभी लोग अपने अपने सामर्थ्य अनुशार सेवा कर रहे हैं पर इस महामारी में एक समस्या ओर भी बहूत बड़ी है की जिन दुधमुहे बच्चो के माता पिता इस कोरोना महामारी के कारण इस दुनिया मे नही रहे एवम वे बच्चे अनाथ आश्रम जाने को मजबूर है तो क्या कोई ऐसा मार्ग बनाया जा सकता है कि उन बच्चो को दुबारा मां बाप मिले उन बच्चो कोई गोद ले ले । यदि हाँ तो इस मुहिम को चलाना चाहिये क्योंकि जब भी कोई महामारी आती है तो वो मानवता के कुकर्मो का ही दुष्परिणाम होती है एवम जब महामारी खत्म होती है तो वो मानवता के सत्कर्मो का परिणाम होती है क्योंकि ये प्रकृति हमे हमारे कर्मो के अनुशार फल देती है अतः यदि संभव हो तो इस पुण्य कार्य के लिए भी प्रतिष्टित समाजसेवियों का एक व्हाट्सअप ग्रुप बनना चाहिए जिसके माध्यम से उन बच्चो को पुनः माता पिता का साया मिल सके जिनके माता पिता उनसे बिछुड़ चुके हैं इस दुःखद विडम्बना पर IPS एवम DCP महिला सुरक्षा विरिंदा शुक्ला जी काफी ध्यान दे रही है एवम ऐसे बच्चो की मदद भी कर रही हैं। पर अब जरूरत है कि प्रत्येक जिले के अधिकारी इस समस्या पर ध्यान देकर इस दृष्टिकोण से भी समाधान निकालने का मार्ग प्रशस्त करें कि बेसहारा बच्चो को अनाथ आश्रम का नही बल्कि माता पिता का सहारा मिले । यदि ये प्रयास सार्थक हो सकता है तो ऐसी घटनाओं की सूचना एक दूसरे तक पहुचाने के उद्देश्य से हम ये शुरुआत प्रारम्भ करना चाहते हैं क्या पता किसी माँ बाप की गोद भर जाए और किसी बच्चे को माता पिता । इन नम्बरो का उद्देश्य केवल अभिलाषी/इछुक माता पिता व बच्चो के संरक्षकों के बीच संपर्क स्थापित करवाने तक सीमित होगा ।