21 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है पहले यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखने को मिलती थी लेकिन कोरोना काल में बीमारी की चपेट में युवा भी आ रहे हैं अगर अलीगढ़ जिले की बात करें तो करीब 4 से 5% की आबादी इस गंभीर रोग से ग्रसित हो रही है मनोचिकित्सक अंशु सोम ने बताया कि कभी-कभार किसी बात को भूल जाना या किसी चीज को कहीं रखकर भूल जाना आम बात है और इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं किंतु बढ़ती उम्र के साथ भूलने की यह बीमारी बढ़ती जाती है बड़ी संख्या में बुजुर्गों को अपनी चपेट में लेती जा रही यह बीमारी है पहले जहां अल्जाइमर की 70 साल के बुजुर्गों की बीमारी समझी जाती थी वहीं अब 40 और इससे कम उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं अगर युवा अपने ऊपर विशेष ध्यान दें तोइस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है अर्थात अल्जाइमर लाइलाज बीमारी नहीं है भले ही इसकी पकड़ विश्व स्तर पर हो किंतु थोड़ा सा ध्यान और काम करते वक्त याद रखने की जरूरत है कभी-कभी युवा डिप्रेशन को अंजाम समझ लेते हैं डिप्रेशन नहीं हो सकती है .अल्जाइमर के मुख्य लक्षण हैं नींद नहीं आना चिंता परेशानी स्मृति का खोलो निर्णय से जुड़ी समस्याएं सवालों का बार-बार दोहराना रोजमर्रा के कामों को करने में दिक्कत महसूस होना किसी काम में मन न लगना फोकस करने में दिक्कत होना रुपया का बेहतर प्रबंधन न कर पाना अपने परिवार वालों को पहचानना कपड़े उल्टे सीधे पहनना इत्यादि अल्जाइमर के मुख्य लक्षण है कहा जाता है कि योग करने से अल्जाइमर बीमारी में राहत मिलती है अर्थात योग और प्राणायाम का अभ्यास करने से आप जितने एक्टिव होंगे डिप्रेशर और अल्जाइमर का खतरा उतना ही कम होगा जो लोग रोज 60 मिनट शारीरिक रूप से एक्टिव रहते हैं उनका मेटाबॉलिज अधिक रहता है जिससे इस बीमारी के बचाव में सहायक हो सकता है इससे सर्वांगासन हस्त पादासन ताड़ासन धनुरासन कुंभ का सन अर्ध चंद्रासन मेडिटेशन बीमारी को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है या मनुष्य के ऊपर आने वाले लक्षणों को दूर किया जा सकता है अगर आप मानसिक तनाव व चिंता महसूस कर रहे हैं तो राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और सेना विज्ञान के संस्थान के टोल फ्री नंबर 080 4611 0007 पर कॉल करके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं .
एक शोध के अनुसार महिलाओं को अल्जाइमर का खतरा ज्यादा रहता है डॉक्टरों की मानें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अल्जाइमर बीमारी का खतरा अधिक रहता है . अल्जाइमर के इलाज के लिए आने वाले हर 10 मरीजों में से छह महिलाएं होती हैं अल्जाइमर के मरीजों को दवाई के साथ-साथ थेरेपी भी दी जाती है लेकिन उनकी देखभाल बेहद जरूरी होती है दवाइयों व व्यायाम से मरीज के भूलने की शक्ति को कम किया जा सकता है लेकिन अल्जाइमर बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है जब तक मरीज जिंदा रहता है तब तक उन्हें दवाइयां और व्यायाम करना पड़ता है अर्थात मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए और अल्जाइमर जैसे भयानक रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम ,योग या मेडिटेशन करना जरूरी हो जाता है .
न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अनुज गुप्ता ने कहा है कि अंजाम एक मानसिक विकार है जिसके कारण मरीज की याददाश्त कमजोर होने शुरू हो जाती है आमतौर पर यह मध्यम उम्र या वृद्ध अवस्था में दिमाग के शिशु को नुकसान पहुंचने के कारण होता है यह डिमेंशिया बीमारी का एक प्रकार है जिसका असर व्यक्ति की याददाश्त सोचने की क्षमता रोजमर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी के कारण हर की समस्या शुरू होती है अल्जाइमर बीमारी पहले बुजुर्ग व्यक्तियों में देखने को मिलती थी उनके साथ साथ परिवार के लोग समय बताएं बताते थे आजकल डिप्रेशन के कारण युवा वर्ग भी ऐसी गंभीर बीमारी के आगोश में आ रहा है पर इसे अंजाम और नहीं बल्कि तनाव कहेंगे यह एक तरह से प्री स्टेट कही जा सकती है जो कि समय के साथ पनपती है इसलिए मनुष्य को तनाव मुक्त होकर काम करना चाहिए और तनाव मुक्त माहौल में व्यवहार करना चाहिए जब मनुष्य तनावमुक्त रहेगा तब ही अल्जाइमर जैसी घातक महामारी का प्रकोप कम रहेगा इससे युवा और बुजुर्ग बुजुर्गों को ध्यान देना होगा सतर्क रहना होगा तभी बच पाएंगे ।
लेखक
सत्य प्रकाश( प्राचार्य )
डॉ बी आर अंबेडकर
जन्मशताब्दी महाविद्यालय
धनसारी छर्रा अलीगढ़