बीते एक पखवाड़े से महानगर में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की किल्लत चल रही है
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद। महानगर सहित जब पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए त्राहित्राहि मची है वहीं इसके कारोबारी से आम जीवन रक्षक वायु की कालाबाजारी में लिप्त हैं। ऑक्सीजन गैस के कई सप्लायर्स ऐसे हैं जो निजी क्षेत्र के लोगों से हाथ मिलाकर ऑक्सीजन गैस की संगठित तौर पर सीधे-सीधे कालाबाजारी कर रहे हैं। इन पंक्तियों के लेखक ने कालाबाजारी के इस धंधे को अपनी आंखों से प्रत्यक्ष रूप से देखा है।
गौरतलब है कि बीते एक पखवाड़े से महानगर में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की किल्लत चल रही है। अस्पतालों में जहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं ऑक्सीजन की सप्लाई कम से कम होती जा रही है। महानगर के कई अस्पतालों को स्थानीय प्रशासन द्वारा कोविड अस्पताल घोषित नहीं किया गया है।
जबकि हर्ष ईएनटी अस्पताल जैसे कई केंद्र तकनीकी तौर से कोविड मरीजों के उपचार का केंद्र बन चुके हैं। जहां बड़ी संख्या में मरीज उपचाराधीन हैं। हर्ष ईएनटी अस्पताल के संचालक डॉ बी.पी. एस. त्यागी के अनुसार चिकित्सीय परामर्श लेने आने वाले कई मरीज इतने गंभीर होते हैं
जिन्हें तत्काल आपात चिकित्सा की जरूरत होती है। लिहाजा उनका तत्काल उपचार दडे केयर में शुरू करना पड़ता है। इन मरीजों को भी ऑक्सीजन व दवाइयों की उतनी ही जरूरत होती है जितनी कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को होती है। डॉ. त्यागी का कहना है कि चिकित्सीय परामर्श लेने आने वाले मरीजों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
लिहाजा इन्हें उपचार मुहैया कराना उनका नैतिक दायित्व है। लेकिन ऑक्सीजन के अभाव में इन मरीजों की जान पर बन आई। उनका कहना है कि उनके संस्थान को ‘मैसर्सअग्रवाल गैसेस’ मॉडल टाउन की ओर से ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई किए जाते हैं। लेकिन बीते 10 दिनों से सप्लायर सिलेंडर देने में आनाकानी कर रहे हैं। इस दौरान निजी व व्यक्तिगत प्रयत्न से दो-चार सिलेंडर की व्यवस्था की जा सकी है।
बार-बार अनुरोध के बावजूद सप्लायर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। इन पंक्तियों के लेखक ने सप्लायर के काम की जांच मौके परजाकर की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ‘अग्रवाल गैसेज’ की कमान पूरे तौर से उनके एक कारिंदे के हाथ में है। प्लांट तक खाली सिलेंडर पहुंचना और उन्हें भरवा कर
भेजने की जिम्मेदारी इसी व्यक्ति के कंधे पर है।
सिलेंडर भरा वाहन प्लांट से बाहर आने के बाद यह इस कर्मचारी के विवेक पर निर्भर करता है कि वह वह किसे सिलेंडर रेवड़ी की तरह से बांट दे और किसके हवाले सिलेंडर भरा वाहन कर दे। बाकी रोते पीटते रहिए। इसकी बला से।
चित्रों में गैस सप्लायर के इस कारिंदे की कारगुजारी को आसानी से समझा जा सकता है। यह तस्वीरें महानगर के ही एक प्लांट के बाहर की हैं। प्रशासन यदि कुछ करना ही चाहता है तो इस कर्मचारी के मोबाइल फोन की कॉल का डाटा ही खंगाल ले। कालाबाजारी का कच्चा चिट्ठा खुद ही खुल जाएगा।