जनसागर टुडे/ नरेश सिंघानिया
गाजियाबाद -नगर निगम पार्षद एवं कांग्रेसी नेता मनोज चौधरी ने कहा कि कृषि सुधार विधेयक 2020 जो मोदी सरकार लोकसभा में पास करवा चुकी है उसको लेकर हंगामा मचा हुआ है आखिर किसान हाय तोबा क्यों मची हुई है किसान क्यों आंदोलन कर रहे हैं यह आज सबसे बड़ा सवाल है मोदी सरकार किसानों का हितेषी बिल बता रही है और सरकार का कहना है कि इस बिल से किसानों को एमएसपी से भी ज्यादा मूल्य मिलेगा किसान की चिंता आखिरकार क्या है ! नंबर 1 कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य ( संवर्धन एवं सरलीकरण 2020 द फार्मर प्रोडक्ट फैसिलिटी एक्शन बिल प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी यानि क्या मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है ! इसका लक्ष्य किसानों को अपनी उपज के प्रति स्पधी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है !इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस फीस नहीं ली जाएगी यह किसानों के लिए नए विकल्प उपलब्ध कराएगा ! उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा ! इससे जहां ज्यादा उत्पाद हुआ है उन क्षेत्रों के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे नंबर दो यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति के बाहर भेजते हैं तो राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि मंडी शुल्क प्राप्त नहीं कर पाएंगे यदि पूरा कृषि व्यापार मंडल से बाहर चला जाता है तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे ! लेकिन इससे महत्वपूर्ण बात यह है किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंतत न्यूनतम मूल्य एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है ! आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान ( सशक्ति करण एवं संरक्षण ) अनुबंध विधेयक 2020 इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादो को पहले से तय दाम पर बेचने के लिए कृषि व्यवसायों फर्मों प्रोसेसर थोक विक्रेताओं निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा ! इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है उसके उस खरीददार की तरफ जाएगा जिससे साथ उसने अनुबंध किया है उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा यह भी विपणन लागत को कम कर कर किसान की आय को बढ़ावा देगा ! विरोध इस कानून को भारतीय खाद्य प्रकृति व्यवस्था पर हावी होने की इच्छा रखने वाले उद्योगपतियों के लिए बनाया गया है ! यह किसानों की मोलतोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा इसके अलावा बड़ी निजी कंपनियां निर्यातकों थोक विक्रेताओं को प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची में से अनाज दाल तिलहन प्याज और आलू जैसी उपज को युद्ध अकाल असाधारण मूल्यवृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जाएगी इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है विरोध इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जाएगी जिससे वह किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे मेरा मानना है कि किसान की सबसे बड़ी चिंता एमएसपी को लेकर है अगर केंद्र सरकार इन विधायकों के साथ एमएसपी पर भी संसद में कानून बना दे कि जो सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है उससे कम देश में कोई व्यापारी खरीद नहीं कर सकता अगर कोई व्यापारी खरीद करता है तो उसे 5 साल की जेल व 500000 का जुर्माना लगाया जाएगा तो किसानों के हितों की रक्षा की जा सकती है केंद्र सरकार पंजाब में कांग्रेस पर यह आरोप लगा रही है कि कि कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में एपीएमसी लागू कर दिया है यह सत्य है पंजाब सरकार ने एक कंपनी को एक लाइसेंस लेकर पूरे पंजाब में व्यवपारी खरीद कर सकता है लेकिन पंजाब सरकार ने उस व्यापारी पर भी मंडी के अनुसार टैक्स लगा है केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है उसमें व्यापारियों पर जो सीधे किसान से खरीदारी करेगा टैक्स नहीं लगाया गया है जिससे किसानों को शंका है कि कुछ समय बाद मंडिया समाप्त हो जाएंगी क्योंकि मंडियों पर सरकार टैक्स लेती है केंद्र सरकार को किसानों के आंदोलन से सबक लेना चाहिए सिर्फ विरोध को दरकिनार नहीं करना चाहिए केंद्र सरकार को किसानों के बीच में जाकर समस्या का हल करवा कर ही इस बिल को राज्यसभा में पास करवाना चाहिए लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है ! आज भी पूरे देश में जो केंद्र सरकार एमएसपी घोषित करती है उसके अनुसार खरीद नहीं हो रही है सरकार को धरातल पर जाकर पता करना चाहिए कि व्यापारी क्यों किसान की फसल को एमएसपी पर नहीं खरीद रहे हैं इसमें आज बाजरा मक्का गेहूं उदाहरण है जो किसानों को कम रेट में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है ! एमएसपी से कम कांटेक्ट खेती में किसानों को डर है क्योंकि 86 प्रतिशत छोटे किसान है कहीं बड़ी कंपनियां इन किसानों की गरीबी का फायदा उठाकर इनकी जमीनों को बंधक ना बना ले जैसे पहले जमींदार लोग जब किसान को पैसे की जरूरत होती थी तो थोड़े पैसे देकर उनसे अंगूठे लगवा लिया करते थे कांटेक्ट खेती से कहीं किसान मजदूर बनकर ही ना रह जाए सरकार का अपना पक्ष हैं और किसान की चिंता अपनी जगह है यह तो समय ही बताएगा कि यह बिल किसान का कितना हितेषी बिल है !