बेटियों को लेकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत गांवों से हो गई है। अधिकारियों के प्रयास से गांवों में घर की पहचान बिटिया के नाम से होने लगी है। मुजफ्फरनगर जनपद में मिशन शक्ति अभियान के तहत जिले में अब तक 260 मकानों पर बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगाई जा चुकी है।
मुजफ्फरनगर जिले में इस समय मिशन शक्ति अभियान चल रहा है। इस अभियान में जिला प्रोबेशन अधिकारी 30 सितंबर से कार्य कर रहे हैं। जिले के दस गांवों को चिह्नित कर इनमें बेटियों की जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में एक नई पहल यह है कि घरों के बाहर बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगाई जा रही है।
एक गांव में पांच से दस घरों पर यह नेम प्लेट लगी है। विभाग ने अभी तक जिले के आदमपुर, दतियाना, सोंटा, अमीगढ़, तिगरी, रहकडा, छपार में अभियान पूरा कर लिया है। इस अभियान में हाल ही सात गांव के 60 घरों के बाहर बिटिया की नेम प्लेट लगी है। इससे पहले जनवरी में 30 गांवों में 200 घरों पर नेम प्लेट लगाई गई थी।
जिला प्रोबेशन अधिकारी मुशफेकिन ने कहा कि हम दस घरों पर बिटिया के नाम की नेम प्लेट लगाते हैं, तो 70 प्रतिशत सहर्ष स्वीकृति देते हैं। तीस प्रतिशत अभी भी ऐसे हैं, जो विरोध करते हैं।
हमें बेटी के नाम की खुशी बुढ़ाना कस्बे में ऋचा विश्वकर्मा की नेम प्लेट दरवाजे पर लगाई गई, तो पिता सुशील कुमार ने खुशी जताई। सुशील कुमार ने कहा कि अब बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं। हमें खुशी है कि बिटिया की नेम प्लेट गेट पर लगी है। अलमासपुर गांव में दस घरों पर बिटिया की नेम प्लेट लगी है। गांव की गुलशाना कहती हैं कि उसकी बेटी शाहिस्ता के नाम की प्लेट गेट पर लगी है। हमारी बेटी इससे खुश है। हम अपनी बेटी की पढ़ाई पूरी कराएंगे और उसे काबिल बनाएंगे। गांव की सुमन कहती हैं कि उसके घर के बाहर बेटी उर्वशी की नेम प्लेट लगी है। परिवार के सभी लोग खुश है। अब बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।