नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरुप हैं. मां के इस रूप को बहुत भयंकर माना जाता है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और इनका वाहन गधा है. ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं.
इनकी उपासना से क्या लाभ हैं?
शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए मां कालरात्रि की उपासना अत्यंत शुभ होती है. इनकी उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है. ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है.
मां कालरात्रि का सम्बन्ध किस चक्र से है?
मां कालरात्रि व्यक्ति के सर्वोच्च चक्र, सहस्त्रार को नियंत्रित करती हैं. यह चक्र व्यक्ति को अत्यंत सात्विक बनाता है और देवत्व तक ले जाता है. इस चक्र तक पहुंच जाने पर व्यक्ति स्वयं ईश्वर ही हो जाता है. इस चक्र पर गुरु का ध्यान किया जाता है. इस चक्र का दरअसल कोई मंत्र नहीं होता. नवरात्रि के सातवें दिन इस चक्र पर अपने गुरु का ध्यान अवश्य करें.
क्या है मां कालरात्रि की पूजा विधि?
मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं. मां को लाल फूल अर्पित करें, साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. मां के मन्त्रों का जाप करें, या सप्तशती का पाठ करें. लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें और बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें. काले रंग के वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा न करें.
शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा
श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएं और एक-एक लौंग चढाते जाएं. नवार्ण मंत्र है- ” ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे “. उन 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें. आपके विरोधी और शत्रु शांत होंगे.
मां कालरात्रि को क्या विशेष प्रसाद अर्पित करें?
मां कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित करें. इसके बाद सबको गुड़ का प्रसाद वितरित करें. आप सबका स्वास्थ्य अत्यंत उत्तम होगा.।