Saturday, November 23, 2024
No menu items!
spot_img
spot_img
होमराज्यउत्तर प्रदेशरामायण रचयिता वाल्मीकि का जीवन दर्शन संपूर्ण समाज को सत्य निष्ठा अहिंसा...

रामायण रचयिता वाल्मीकि का जीवन दर्शन संपूर्ण समाज को सत्य निष्ठा अहिंसा प्रेम त्याग का कराया बोध – जगतपाल सिंह एडवोकेट

रामायण रचयिता वाल्मीकि का जीवन दर्शन संपूर्ण समाज को सत्य निष्ठा अहिंसा प्रेम त्याग का कराया बोध – जगतपाल सिंह एडवोकेट

*अश्वनी मास की शरद पूर्णिमा को मनाया जाता महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिवस*

*कवि वाल्मीकि का नागा जाति में हुआ जन्म, संस्कृत में रामायण की रचना*

डीके निगम 
बुलंदशहर: प्रदेश भर में प्रत्येक वर्ष वाल्मीकि जयंती के अवसर पर अनेक कार्यक्रम किए जाते आ रहे। जिसमें अनेक प्रकार की झांकियां निकाली जाती। जहां पुष्प वर्षा कर किया जाता जोरदार स्वागत। इस वर्ष भी लोग वाल्मीकि जयंती मनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे। लोग तैयारी में जुटे।
बता दें कि इन्हें ऋषियों का ऋषि त्रिकालदर्शी महर्षि वाल्मीकि कहा जाता है वाल्मीकि का जन्मदिवस अश्वनी मास की शरद पूर्णिमा को देशभर में मनाया जाता है इनके जन्म के विषय में तरह-तरह से विद्वानों द्वारा बताया गया है लेकिन उस गहराई में पहुंचना उचित नहीं समझता हूं पुराणों के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का जन्म नागा जाति में हुआ था ऋषि मुनि बनने से पूर्व इनका नाम रत्नाकर था एक निसंतान भीलनी ने इनका लालन-पालन किया तब और तपस्या के बाद यह ऋषि वाल्मीकि कहलाए बाल्मीकि संस्कृत रामायण के प्रसिद्ध रचयिता हैं जो आदि कवि के रूप में जाने जाते है वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदि कवि कह लाए गए त्रिकालदर्शी महर्षि वाल्मीकि ने महाराजा दशरथ के पुत्र श्रीराम चंद्र की पत्नी सीता को अपनी शरण में रखकर उसकी पवित्रता की रक्षा की और लव कुश को वीरता प्रदान की रामायण के माध्यम से घर परिवार समाज के हर पहलू को बताया गया है और जीवन को सत्य निष्ठा तप त्याग मान सम्मान अभिमान के साथ जीने का रास्ता दिखाया गया है।
अगर यह कहा जाए की रामायण संपूर्ण जीवन का बोध कराती है और मानवीय जीवन को जीने का मार्ग दिखाती है तो यह कहना पूर्ण रूप से न्याय संगत होगा सनातन धर्म में ऋषि-मुनियों संतो के जीवन से प्रेरणा लेकर उस पर चलने का रास्ता दिखाया गया है देश में हर वर्ष श्री रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसमें श्री राम के संपूर्ण जीवन को विस्तार से बताया गया है श्री राम ने रावण का वध करके असत्य पर सत्य की विजय करा कर विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है श्री राम की लीला जनमानस को संदेश देती है की सत्य निष्ठा कर्तव्य परायणता ईमानदारी अच्छे आचरण से घर परिवार समाज राष्ट्र की सेवार्थ करें लेकिन वास्तविक जीवन में समाज में यह सब कुछ देखने को नहीं मिल रहा यह सब चिंतन और सोच का विषय है आज ऋषि मुनियों संतो महापुरुषों को भी जातियों में बांट कर उनके जन्मदिन ओं को समाज मना रहा है आखिर कब तक और कौन करेगा इस व्यवस्था में परिवर्तन ऋषि मुनि संत महान पुरुष किसी भी जाति विशेष के नहीं होते हैं उनके द्वारा रचा गया साहित्य समाज का मार्गदर्शन करता है फिर क्यों समाज उनको जाति धर्मों विभक्त कर उनको स्मरण करके उनकी जयंती या मनाता है भारतीय संस्कृति और अध्यात्म को विश्व ने माना और स्वीकार किया है हजारों वर्ष पुरानी जातीय व्यवस्था को समाप्त करने के लिए समाज का प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना चाहिए राजनीतिक लोग जातियों को जातियों में विभक्त करके केवल राजनीतिक लाभ लेते रहे हैं जबकि समाज के प्रबुद्ध वर्ग को अब जागना चाहिए ऋषि मुनियों संतो महान पुरुषों के बताए रास्ते पर चलकर उनके प्रीति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी की समाज संतो ऋषि यों महान पुरुषों को जातियों में ना बाटे क्योंकि उनके द्वारा दिखाया गया रास्ता संपूर्ण मानव समाज का कल्याण करता है इसलिए यह कहा जा सकता है कि ऋषि यों के ऋषि महर्षि वाल्मीकि आदि कवि वाल्मीकि ने रामायण की रचना करके संपूर्ण मानव समाज को सत्य निष्ठा तप त्याग मानव कल्याण का मार्ग दिखाया है उनके प्रकट दिवस पर शत-शत नमन।
17 अक्टूबर 2024 को बाल्मीकि जयंती है।

- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img

NCR News

Most Popular

- Advertisment -spot_img