गाजियाबाद। श्री सुल्लामल रामलीला कमेटी घण्टा घर द्वारा आयोजित नारद मोह की लीला देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। दिल्ली से आए हरि भक्ति कला ट्रस्ट के कलाकारों ने पंकज शर्मा के निर्देशन में रामलीला का मंचन किया। पूजा-अर्चना के बाद नारद मोह लीला प्रारंभ हुई। जिसमें दर्शाया कि नारद एक जगह भगवान के भजन में इतने लीन हो जाते हैं कि इंद्र का सिंहासन हिल जाता है। सिंहासन जाने के भय के चलते इंद्र नारद के तप को भंग करने के लिए कामदेव और अप्सरा भेजते हैं। फिर भी नारद का ध्यान भंग नहीं होता है तो कामदेव नतमस्तक हो जाता है और नारदजी से क्षमा मांगते है। इसकी जानकारी होने पर नारद को अभिमान हो जाता है कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है। इसकी जानकारी वह एक-एक करके ब्रह्मा, महेश और विष्णु को देते हैं। अभिमान को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने अपनी माया से सुंदर नगर और सुंदर राजकुमारी की रचना की। जहां पहुंचकर नारद श्रीलनिधी राजा के आग्रह पर उनकी बेटी विश्वमोहिनी की हस्तरेखा देखते हैं। हस्तरेखा देखकर नारद विश्वमोहिनी से विवाह करना चाहते हैं और भगवान विष्णु से हरि रूप लेकर आते हैं। जबकि हरि रूप में उन्हें बंदर का रूप दिया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु मौके पर पहुंच जाते हैं और विश्वमोहिनी से विवाह करते हैं। यहां नारद श्राप देते हैं कि जिस प्रकार में एक स्त्री के लिए व्याकुल हुआ हूं। उसी प्रकार आपको (विष्णु भगवान) को भी एक स्त्री के वियोग में व्याकुल होना पड़ेगा। इसके साथ ही जिस बंदर का चेहरा दिया है। ऐसे बंदर ही पृथ्वीलोक पर आपकी मदद करेंगे। इसे विष्णु भगवान स्वीकार करते हैं और बताते हैं कि यह सब तो उनकी माया थी।लीला स्थल पर प्रमुख रूप से अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार वीरो, उस्ताद अशोक गोयल, दिनेश शर्मा बब्बे, शिव ओम बंसल, संजीव मित्तल, अनिल चौधरी, आलोक गर्ग, मोहित मित्तल, अजय गुप्ता, नंदकिशोर शर्मा, विजय गोयल, राधवेंद्र शर्मा व पार्षद नीरज गोयल आदि उपस्थित रहे