सरकार की लाख कोशिश के बाबजूद भी नही कर पा रहे कोई सुधार अधिकारी मौन !
फरीद अंसारी
बुलंदशहर। “खूब पढ़ो आगे बढ़ो” तथा ‘बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर’ का स्लोगन कभी कभी बहुत बेईमानी लगता है। नगर के दिल्ली रोड पर मोहल्ला भूड़ में जब इन मासूम बच्चों को दिन निकलते ही कंधे पर बोरा या कट्टे को लाधकर बड़े बड़े गंदे नालों तथा कूड़े की गाड़ियों से अपने जीवन यापन के लिए खाली बोतलें, शीशिए, बेस्ट मटेरियल आदि को ढूंढकर निकालते हुए मिल जायेंगे जिसको देखना बहुत कष्टकारी है।
- एक तरफ केंद्र व प्रदेश की सरकारे दोनो हाथो से जनता के अदा किए हुए टैक्स की राशि को दोनो हाथो से आंखे मूनद कर लुटा रही है। वहीं धरातल पर तस्वीर बड़ी दयनीय है। सोचने का विषय है कि आखिर जिन अधिकारियों को इनकी तस्वीर बदलने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह अपने पेशे से कितनी ईमानदारी कर रहे है।
इस मासूम बचपन की अवस्था जो कि ये उनकी पढ़ने व खेलने की उम्र है। साथ ही देश के लिए कुछ करने का जज्बा उनकी आंखों में समाया हुआ है इस उम्र में वह गन्दगी से दो चार होते है। तब जाकर उनको दो रोटी का जुगाड हो पाता है। आखिर इस पाश्चात्य युग में इन मासूमो की दशा सुधर पाएगी क्या ये चिंतन व मनन का विषय है।