आजमगढ़ / सूरज सिंह – चैत्र नवरात्र की शुरुआत नौ अप्रैल से हो रही है। मेला और महोत्सव की धूम के बीच नवसंवत्सर का शुभारंभ भी हो रहा है। मंदिरों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। पूजन और आरतियों का टाइम टेबल भी तय हो चुका है। पूर्व संध्या पर आयोजन होंगे। पंचांग का भी लोकार्पण व दीपदान होगा। बाजारों में दुकानें सज चुकी हैं। रविवार को लोगों ने चुनरी, नारियल, फलाहार की सामग्री की खूब खरीदारी की। वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय व पंडित धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक, नवसंवत्सर का नाम पिंगल है और राजा मंगल व मंत्री शनि हैं। मंगल ग्रहों में सेनापति है। यह शक्ति, शौर्य, साहस, जिद, गुस्सा, आतंकवादी हमले, युद्ध, दुर्घटना का कारक ग्रह है। शनि न्याय करते हैं, यह धार्मिक व सात्विक लोगों को आगे बढ़ाएगा। तामसिक खानपान वालों के लिए कष्टकारी हो सकता है। निर्माण व तकनीक विकास में दोनों ग्रह सहयोगी बनेंगे। वाहन दुर्घटनाएं काफी हो सकती हैं। गैरकानूनी व गैर सामाजिक लोगों पर न्याय का शिकंजा कसेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेंद्र पांडेय, आनंद दुबे व एसएस नागपाल के मुताबिक, नवरात्र प्रतिपदा पर दो मुहूर्त हैं। नवरात्र का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 11.24 से 12.36 बजे के बीच अभिजित मुहूर्त है जिसमें कलश स्थापना उत्तम फलदायी है। जो लोग किसी कारण से अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना न कर सकें, वे दोपहर में 3.17 के बाद से सूर्यास्त तक कर सकते हैं।