वायुसेना दिवस 2020 की परेड में राफेल लड़ाकू विमान भी हिस्सा लेंगे। भारत आने के बाद यह पहला मौका है जब सार्वजनिक रूप से राफेल जेट अपने जौहर दिखाएंगे। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के अनुसार, राफेल को दो फॉर्मेशन का हिस्सा बनाया गया है। ‘विजय’ फॉर्मेशन में राफेल के साथ जगुआर उड़ान भरेंगे। इसके बाद ‘ट्रांसफॉर्मर’ फॉर्मेशन में शामिल होकर राफेल अपने जौहर दिखाएगा। तब इसके साथ Su-30 MKI और LCA तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट भी होंगे। परेड के दौरान एरियल डिस्प्ले में इस बार 56 एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं।
एरियल डिस्प्ले में आकाश गंगा टीम, रुद्रा, चिनूक फॉर्मेशन भी होगा। स्टैटिक डिस्प्ले में राफेल के अलावा चिनूक, मिग- 29, अपाचे, मिराज, आकाश मिसाइल सिस्टम देखने को मिलेगा। ‘बहादुर’ फॉर्मेशन में मिग-29 और सुखोई-30 आसमान में करतब दिखाएंगे। ‘एकलव्य’ नाम से भी नया फॉर्मेशन बनाया गया है जिसमें अटैक हेलिकॉप्टर्स होंगे।
हमारी रफ्तार के बारे में दुश्मन सोच भी नहीं सकता’
एयरफोर्स चीफ ने चीन के साथ चल रहे तनाव पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना इतनी तेजी से सीमावर्ती इलाकों में मूव कर सकती है कि दुश्मन को उसका अंदाजा भी नहीं होगा। भदौरिया ने कहा, “पूर्वी लद्दाख में जिस तरह हमने तैनाती की, उससे हमारे ऑपरेशनल स्टेट का पता चलता है। इतनी जल्दी मूवमेंट और डिप्लॉयमेंट कर सकते हैं जो हमारा दुश्मन सोच नहीं सकता।”
राफेल होगा परेड का मुख्य आकर्षण
वायु सेना की 17वीं स्क्वाड्रन का हिस्सा बने राफेल को उड़ाने वाले फाइटर पायलट्स की टीम में एक महिला भी है। एयरफोर्स के पास फिलहाल 10 ऐक्टिव महिला फाइटर पायलट्स हैं। एयरफोर्स डे पर परेड में राफेल पर सबकी नजरें होंगी। पिछले दिनों जब यह एयरफोर्स में शामिल हुआ था, तब भी लोगों में खासी उत्सुकता देखने को मिली थी। तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि यह उन देशों को कड़ा संदेश है जो भारत की संप्रभुता पर नजर लगाए बैठे हैं।
राफेल में क्या है खास
भारत आए राफेल विमानों में ऐसे सिग्नल प्रोसेसर्स लगे हैं कि जो जरूरत पड़ने पर सिग्नल फ्रीक्वेंसी बदल सकते हैं। इसमें Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्ट्राइक क्रूज मिसाइल्स लगी हैं। इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्त क्षमता हासिल हो चुकी है। Meteor मिसाइलें नो-एस्केप जोन के साथ आती हैं यानी इनसे बचा नहीं जा सकता। यह फिलहाल मौजूद मीडियम रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइलों से तीन गुना ज्यादा ताकतवर हैं। इस मिसाइल सिस्टम के साथ एक खास रॉकेट मोटर लगा है जो इसे 120 किलोमीटर की रेंज देता है।