उत्तर प्रदेश के कई शहरों में पिछले तीन दिन बिजली ना आने के कारण काफी विवाद रहा. पूर्वांचल के कई शहरों में बत्ती दिन तो दिन रातो में भी गुल रही जिसकी वजह से आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बिजली ना आने का कारण 15 लाख से अधिक बिजली कर्मचारियों का हड़ताल पर चले जाना रहा. यूपी में बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध कर रहे अधिकारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला ले लिया, जिसके बाद कई शहरो को पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाना पड़ा। पूर्वांचल इलाके के देवरिया, आजमगढ़, बाराबांकी, मऊ, गाजीपुर समेत कई अन्य शहर और जिलों में अंधेरा रहा.
चंदौली से देवरिया और प्रयागराज से मिर्जापुर किसी भी जगह बत्ती ने अपने दर्शन नहीं दिए। चंदौली के चंदौसी विद्युत उप केंद्र में तो हड़ताली कर्मचारियों ने सुबह ही ताला लगा दिया और ऑफिस के बहार दीवारों पे लिखे अधिकारियों के नाम और मोबाइल नंबर भी मिटा दिए। प्रयागराज में तो बिजली की वजह से आम जनता इतना परेशां हो गयी की आखिर में उनेह विरोध प्रदर्शन के लिए सड़को पे उतरना पड़ा।
दूसरी तरफ विद्युत कर्मचारी, संयुक्त संघर्ष समिति की पावर कारपोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री के बीच हुई बातचीत में कोई निष्कर्ष नहीं निकला. अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसा ही रहा तो उनका यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा, ऐसे में उत्तर प्रदेश में बिजली संकट और भी गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी काफी दिनों से विरोध कर रहे हैं. लेकिन बीते दिन उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया.