जनसागर टुडे
कानपुर /सुनील बाजपेई-
। कानपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा की साजिश के तार विदेशों से भी जुड़े होने का दावा किया गया है।
यहां बीते शुक्रवार को हुई हिंसा के मामले में अब तक की गई छानबीन के मुताबिक घटना के सूत्रधार और मुख्य आरोपी जेल भेजे जा चुके जफर हयात हाशमी को विदेशों से भी करोड़ों रुपए भेजे गए जिन्हें बाद में बैंक खाते से निकाला भी गया ।
इसीलिए जांच एजेंसियां उसके सभी बैंक खातों की गहराई से जांच भी कर रही हैं । विदेशों से भेजे गए धन का उपयोग कानपुर में सांप्रदायिक उपद्रव में किया गया । कुल मिलाकर शादी घटना को एक सोची समझी साजिश के तहत चाहिए अंजाम दिया गया है जिसके बारे में लगातार गहन जांच पड़ताल भी जारी है मामले में अब तक 40 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है । वहीं अन्य आरोपियों की तलाश में लगातार छापे भी मारे जा रहे हैं साथ ही साथ ही साथ ही बवाल करने वालों का मनोबल तोड़ने और जल्द गिरफ्तारी के लिए उनकी पहचान के इरादे से पोस्टर भी लगाए जा चुके हैं।
कुल मिलाकर कानपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा का मामला बहुत साजिश पूर्ण है और उसके तार भी इतने गहरे हैं जिसके बारे में ठोस जानकारी हासिल करने में जांच एजेंसियों को भी पसीना आ रहा है ।
कुल मिलाकर अब तक की जांच में उपद्रव को लेकर जिस साजिश की आशंका व्यक्त की जा थी, वह पूर्ण रूप से सच के कहीं भी नजर आ रही है ।
इस बारे में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस की अब तक की जांच में सनसनीखेज पर्दाफाश हुआ है। जिसमें अभी तक की मुख्य भूमिका हयात जफर हाशमी की ही प्रकाश में आई है सूत्रों के मुताबिक उसने ही उपद्रव के लिए मैदान तैयार किया।
उसके साथ इसमें सबसे बड़ा रोल शत्रु संपत्ति पर कब्जा जमाने वाले माफियाओं के साथ ही डी -2 गैंग का भी है | पुलिस की अब तक की छानबीन के मुताबिक बवाल के लिए भीड़ का सारांश जाम शत्रु संपत्ति पर कब्जा जमाने वाले माफियाओं की ओर से ही किया गया था जिसमें डीटू गैंग का भी विशेष सहयोग रहा ।
इसी के साथ अब तक की छानबीन से निकले निष्कर्ष के मुताबिक पीएफआइ और एआइएमआइएम जैसी पार्टियां भी जांच के दायरे में हैं और इन्हें उपद्रव के मैच का प्रायोजक माना जा रहा है। अब पुलिस इनका कनेक्शन जोड़कर उस असली मास्टर माइंड तक पहुंचना चाहती है, जो कि पूरी उपद्रव का आयोजक है।
अब तक की जानकारी के मुताबिक हयात जफर हाशमी पिछले कई सालों से शहर में एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के बैनर तले गतिविधियां संचालित कर रहा था। इसके बाद जब वह कई बार विवादों में आया तो अपने वर्ग के बीच जाना पहचाना चेहरा हो गया। पढ़े लिखे युवा की बात उसके वर्ग के लोग सुनते थे, इसीलिए आयोजक ने उसे बंद के आवाहन के लिए चुना।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह सब कुछ बड़ी चालाकी से किया गया | इसीलिए उपद्रव के आरोपों से बचने के लिए ठीक एक दिन पहले उसने बंदी को वापस लेने की घोषणा भी साजिश के तहत ही कर दी थी।
उसके इस सारे खेल में शत्रु संपत्ति पर कब्जे के आरोपी माफिया बाबा बिरयानी वाले की भी अहम भूमिका बताई गई है। इसीलिए जांच एजेंसियों की जद में पिछले काफी समय से शत्रु संपत्तियां हड़पने वाले भूमाफिया भी हैं।