हाथरस गैंगरेप को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीति बड़े जोरो पर हैं। सरकार ने बड़ा दावा किया है, जिसमे कई वेबसाइट सरकार के निशाने पर हैं। जस्टिस फॉर हाथरस जैसे सोशल मीडिया हैंडल पर कई आपत्तिजनक सामग्री आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी तहकीकात की, जिसमें पता चला एंटी सीएए के तर्ज पर हाथरस मामले को फैलाने की तैयारी हो रही थी।
यूपी सरकार के मुताबिक, जांच एजेंसियों की रातों रात यह वेबसाइट बंद हो गई। लेकिन एजेंसियों के पास वेबसाइट के सारे कंटेंट मौजूद हैं। सरकार का दावा है कि पीएफआई जैसे संगठन अफवाह फैलाने में शामिल हो सकते हैं।
यूपी में जातीय दंगों की साजिश कराकर दुनिया मैं पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने के लिए जस्टिस फार हाथरस नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार की गई। वेबसाइट में फर्जी आईडी के जरिए हजारों लोग जोड़े गए।
यूपी सरकार का दावा है कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में वेबसाइट पर देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया था। मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी। फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी सुराग मिले हैं, जांच एजेंसियों के हाथ वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी लगी है।
वेबसाइट में चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति बताई गई। बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें भी बताई गई। वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं। सरकार को पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों पर वेबसाइट तैयार कराने में हाथ होने की आशंका भी है।