जनसागर टुडे
गाजियाबाद – भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी अजय गुप्ता ने कहा कि कुछ जनप्रतिनिधियों को नेता और समाजसेवी अंतर नहीं दिखाई देता,सत्ता के गरुर में वह किसी पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर सकते हैं,नेता और समाजसेवी में बहुत अंतर होता है,नेता सिर्फ अपनी अपनी सोचता है,और कोई भी मौका नहीं छोड़ता,शहर की जनता के साथ छल करने में,अपनी तिजोरी भरने में,और समाजसेवी हमेशा नागरिकों की भलाई के लिए दिन-रात उनके साथ खड़ा रहता है,कोई भी महामारी हो,या दुख तकलीफ हो,उसका स्वभाव निस्वार्थ सेवाभाव ही होता है,यह कहना की अखबार ने कई नेता बना दिए,यह बेतुका बयान बचकाना है,नेता या जनप्रतिनिधि 5 साल के लिए आता है,पर समाजसेवी की सेवा करने की कोई अवधि नहीं होती,कई मौके पर देखा गया है,इन जनप्रतिनिधियों को समाजसेवियों का अपमान करते हुए,समाज की सेवा करने वाले को,ना ही कुर्सी का लालच होता है,ना ही किसी पद का,सत्ता तो आती जाती रहती है,पर समाज की सेवा करने वाले अपनी सेवा के लिए अडिग रहते हैं,इन जनप्रतिनिधियों को अपनी सोच की भावना को बदलना पड़ेगा,तभी शहर की जनता उनका मान सम्मान और आदर करेगी,विरासत में मिली राजनीति जिंदगी भर नहीं चलती,पर समाज की सेवा करने वालों की कभी कमी नहीं होती,वह निस्वार्थ सेवा भाव में लगे रहते हैं,सोच बदलेगी,समाज बदलेगा,जनप्रतिनिधियों को अपनी सोच को बदलना पड़ेगा,जनता के हृदय में अपना घर बनाने के लिए !