गाजियाबाद :. नगर निगम वार्ड नंबर 39 के पार्षद एवं भाजपा नेता हिमांशु लव का कहना है कि कब और कैसे होगा कूड़ा निस्तारण समस्या का सामाधान ? लगभग पिछले 25 वर्षों से गाजियाबाद नगर निगम कार्य कर रहा हैं । उससे पहले गाजियाबाद नगर पालिका हुआ करता था और उसके अन्तर्गत ही शहर का विकास कार्य किया जाता था । लेकिन बड़े दुःख और शर्म की बात हैं कि आज दिन तक नगर निगम अपने शहर के सौलिड वेस्ट ( कूडा ) निस्तारण के लिए कोई व्यवस्था करने में नाकाम रहा हैं । बहुत सारी योजनायें बनती हैं परन्तु उस योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से न होने के कारण कोई सफलता नहीं मिल पाती हैं । आज की तारीख में नगर निगम द्वारा जगह – जगह कूड़ा घर बनाया हुआ हैं जहाँ पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से कूडा लाकर डाला जाता हैं । उसके बाद नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थान पर कूड़ा डाला जाता हैं । लेकिन जब कभी भी बारिश होती हैं तो सारा का सारा कूड़ा सड़क पर आ जाता हैं । जिससे गन्दगी बढ़ती हैं और बीमारी का खतरा बढ़ जाता हैं । उपरोक्त समस्या के लिए नगर निगम के अधिकारियों द्वारा यह तर्क दिया जाता हैं कि जहाँ कूड़ा ले जाया जाता हैं उस मार्ग पर बारिश की वजह से गाड़ियों को जाने में समस्या हैं तो हे श्रीमान अधिकारी महोदय यह तो कोई समस्या का समाधान नहीं हैं । आखिर जब आपको पता हैं कि बरसात हर साल आनी हैं तो इसका कोई ठोस समाधान क्यों नहीं किया जाता हैं । क्या यह तर्क दे देने भर से आपकी या नगर निगम की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती हैं ? इन सब के लिए नगर निगम व निगम के उच्च पद पर बैठे अधिकारीगण जो योजनाओं को बनाते हैं दोषी हैं । आज कई कूडा घरों पर मशीनें लगाई गई हैं जिसके उपयोग से कूडे को गलाया जा रहा हैं जिससे बदबूदार पानी निकलता है । पानी निकासी की कोई व्यवस्था नगर निगम के पास नहीं हैं जिससे वहाँ के निवासीगण गन्दगी और पानी की दुर्गन्ध से परेशान हैं । नगर निगम द्वारा सूखा कूडा और गीला कूडे को अलग अलग रखने की योजना भी बनायी गयी और निवासीगणों द्वारा अपनी तरफ से इस योजना को सफल भी बनाया जा रहा हैं लेकिन नगर निगम ही अपने द्वारा बनाये गये योजना के अनुरूप कार्य करने में सक्षम नहीं हैं क्योकि नगर निगम उन कूड़ों को एक साथ ही डम्प करता हैं । जिससे अलग अगल कूडा रखने का कोई फायदा नहीं है । गीले कूड़े से खाद बनाये जाने की योजना थी परन्तु ऐसा कहीं कोई खाद नहीं बनाई जाती हैं । सब कागज के टुकडों की तरह योजना भी छिन्न भिन्न हैं । क्योकि जिस योजना का कोई क्रियान्वयन ना किया जाये उस योजना को छिन्न भिन्न हीं कहा जायेगा । यहाँ पर यह भी उल्लेखनिय हैं कि नगर निगम द्वारा पीने के पानी की व्यवस्था की जाती हैं । महानगर के विभन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर 30 एचपी , 10 एचपी एवं 1 एचपी के पम्प लगाकर पानी की व्यवस्था की गई हैं । पम्प लगाते समय तो पानी की जॉच की जाती हैं । कई बार पम्प खराब होने पर रिबोर भी किये जाते हैं परन्तु कई – कई वर्षों तक उस पानी की कोई जाँच नहीं की जाती हैं उपरोक्त स्थान पर निकलने वाला पानी पीने योग्य हैं भी या नहीं । कुछ दिनों पहले ही लोहिया नगर में जॉच करने पर पानी को दूषित पाया गया था जो पीने योग्य पानी था ही नहीं । फिर भी नगर निगम द्वारा पानी की सप्लाई कराई जा रही थी । और नगर नगम में बैठे अधिकारीगणों को इस बात कोई फर्क ही नहीं पड़ता हैं कि जो पानी की सप्लाई की जा रही वो पीने योग्य हैं भी या नहीं । क्यों नहीं आज तक नगर निगम द्वारा पानी की जॉच कराये जाने हेतु एक समय सीमा तय की गयी हैं ? अगर नगर निगम अपने क्षेत्रों में स्वच्छता एवं सफाई का ध्यान नहीं रख सकता , क्षेत्र की जनता को शुद्ध जल पीने को नहीं दे सकता तो कहाँ हैं मानवता ? और कैसे पूरा होगा माननीय प्रधान मंत्री जी का स्वच्छ भारत का सपना ? स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत नगर निगम को एक भारी धनराशि प्राप्त होती हैं परन्तु नगर निगम द्वारा इस योजना के अन्तर्गत कराया जा रहा कार्य कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा हैं । यहाँ तो मानवता के नाते भी कुछ किया जा सकता हैं । ऐसा प्रतीत होता हैं कि नगर निगम में योजनाओं को बनाते समय सिर्फ कागज पर हिसाब किताब करके रख दिया जाता हैं । कब सुधरेगा हमारा नगर निगम कब ऐसा अधिकारी आयेगा जो कागजो से उठाकर धरातल पर योजनाओं को लायेगा और शहर का विकास करेगा । नगर निगम क्षेत्र में कूड़े की समस्या का समाधान कब तक होगा इसका इंतजार भोली – भाली व निर्दोष जनता कर रही हैं । क्या हम इस समस्या से निजात पा सकेंगे ?