Monday, April 21, 2025
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होमआलेखपृथ्वी सुरक्षित तो जीवन सुरक्षित*

पृथ्वी सुरक्षित तो जीवन सुरक्षित*

(पृथ्वी दिवस पर विशेषालेख)
*पृथ्वी सुरक्षित तो जीवन सुरक्षित*
ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां मानव जीवन, जीव- जंतु तथा प्राकृतिक वनस्पतियों ( पेड़ पौधों) का जीवन संभव है। पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन की संकल्पना की जा सकती है। पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर आज तक यदि संसाधन उपलब्ध हैं तो उसकी वजह संसाधनो का सदुपयोग, संरक्षण और पर्याप्त मात्रा में भण्डारण का होना रहा है। पृथ्वी /धरती मां ने मानव को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाए हैं और प्रकृति के रूप में कुछ अनोखे तोहफे भी दिए हैं। जिनका संरक्षण , सदुपयोग करके मानव जीवन आसानी से व्यतीत किया जा सकता है। प्रकृति मानव ,जीव, जंतु और पादपो के लिए एक ऐसा वातावरण या पर्यावरण उपलब्ध कराती है जहां मानव जीवन व जीव जंतु खुली हवा में सांस ले सकता है। पीने हेतु पानी प्राप्त कर सकता है। खाने हेतु भोजन, रहने हेतु आवास,सांस लेने हेतु हवा, अर्थात जीवन हेतु पांच मूलभूत तत्व पानी, अग्नि, वायु, आकाश और धरती है । पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधन सीमित है इसलिए इन्हें संरक्षित और सुरक्षित रखना मानव के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ी उनका भरपूर आनंद ले सके। पृथ्वी एक अद्भुत ग्रह है हमें इसकी रक्षा और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयासरत रहना चाहिए।
पृथ्वी पर मानव अपने जीवन यापन के लिए समस्त उपयोगी वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं जो कि वह चाहता है जिन वस्तुओं की उसे आवश्यकता है।पृथ्वी मां की भांति मानव जीवन जीव जंतु व पादपो की देखभाल कर सकता है। मानव जीवन की रक्षा या हिफाजत धरती मां ही कर सकती है किंतु मानव निजी व्यक्तिगत या स्वार्थवश भौतिक सुखभोगने के कारण उसकी भूख बढ़ रही है, जरुरतें बढ़ रही है, जिसके कारण मानव प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है । अंधाधुंध पेड़ पौधों को काटना, अत्यधिक उच्च स्तरीय फैक्ट्रियां स्थापित करना , तीव्र गति से बढ़ते वाहनों के कारण या उनका अत्यधिक प्रयोग के करने के कारण जलवायु, मिट्टी और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। जिसके भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
मानव के लालच भरे कदम , उसके कृत्य प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे है। तमाम अमानवीय गतिविधियां मानव कर रहा है जिसके कारण पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है इसलिए पृथ्वी के संरक्षण और पर्यावरण के संरक्षण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे। पृथ्वी पर जन्मे हर मनुष्य को इस संबंध में ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे। पृथ्वी और पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने की अति आवश्यकता है। इस उद्देश्य को पूरा करने हेतु हर वर्ष 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 1970 में की गई थी। अमेरिकी सीनेटर गेराल्ड नेल्सन
ने पृथ्वी दिवस की स्थापना की थी । पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखकर पृथ्वी दिवस 1970 में शुरू किया गया जिसमें स्वैच्छिक संगठन पर्यावरण प्रेमी शैक्षणिक संस्थान प्रबुद्ध समाज अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हैं और लोगों को अपनी अमूल्य प्राकृतिक धरोहर पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं । तीव्र औद्योगीकरण से दुनिया भर के देश आर्थिक रूप से तो मजबूत हुए किंतु इससे दुनिया के समय से पहले खत्म होने का संकट बढ़ता जा रहा है । यह धीरे-धीरे मानव जीवन, जीव जंतु और पादपो के लिए खतरा बन सकता है । आज घनघोर पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है । प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। पृथ्वी पृथ्वी की सुरक्षा और रक्षा के प्रति यदि मानव जाति ने ध्यान नहीं दिया तो उसे भविष्य में गंभीरसमस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे
* पृथ्वी पर मौसम चक्र का परिवर्तित होना ।
* पृथ्वी पर पर्यावरण का दूषित होना ।
* पृथ्वी पर विषमता और असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होना ।
* प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है।
* तीव्र गति से वैश्विक तापमान में वृद्धि का होना ।
* ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ाना ।
* अम्लीय वर्षा का होना ।
* बेमौसम ओलावृष्टि का होना ।
* ओजोन परत में क्षरण होना इत्यादि गम्भीर समस्याएं वैश्विक समस्याएं हैं जिनका निराकरण करके आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और संरक्षित धरती मां और पर्यावरण सौंपा जा सकता है।
यदि वैश्विक मानव समुदाय पृथ्वी दिवस के शुभ अवसर पर पृथ्वी के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई दिया तो उपरोक्त गंभीर परिणामों का संपूर्ण वैश्विक मानव प्रजाति को ही नहीं वरन् धरती पर विद्यमान सामग्र जीव, जंतु और पादपो को भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पृथ्वी दिवस के उपलक्ष में संपूर्ण मानव समाज को पृथ्वी की रक्षा और सुरक्षा हेतु ठोस, प्रभावी और जवाबदेही भरे कदम उठाने अत्यन्त आवश्यक है। पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा और सुरक्षा के लिए वैश्विक मानव समुदाय को निम्नलिखित ठोस और प्रभावी कदम उठाने चाहिए जैसे
* मानव को दैनिक जीवन में अत्यधिक पॉलिथीन या प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक या पॉलिथीन का प्रयोग पृथ्वी और पर्यावरण को सर्वाधिक घातक सिद्ध हो रहा है। यदि प्लास्टिक का उपयोग करना ही है तो सिंगल यूज प्लास्टिक का ही उपयोग करें।
* पृथ्वी पर अत्यधिक वृक्ष लगाना चाहिए। हरी भरी पृथ्वी,स्वर्ग जन -जीव की।
* पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा प्रति वैश्विक मानव समाज को ठोस और प्रभावी जन जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए।
* नदियों, तालाबों, नालो को गंदा करने से बचना चाहिए।
* फैक्ट्री से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों को नदी या तालाबों में बहने से बचना या रोकना चाहिए।
* वन और पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
* वैश्विक मानव समाज की पृथ्वी या पर्यावरण के विरुद्ध नकारात्मक सोच को भी बदलना चाहिए क्यों कि यह अत्यंत घातक है।
* जहरीला कूड़ा इधर-उधर फेंकने से भी मानव समाज को बचना चाहिए।
* निजी स्वार्थ हेतु अत्यधिक पेड़ पौधों को काटना भी पृथ्वी और पर्यावरण के लिए घातक है।
* समुद्र में तेल रिसाव रोकने हेतु संपूर्ण मानव समाज को आगे आना चाहिए।
* औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने भी पृथ्वी और पर्यावरण को खतरा उत्पन्न किया है।
वैश्विक मानव समाज को पृथ्वी की रक्षा और सुरक्षा हेतु विशेष ध्यान देना चाहिए महात्मा गांधी ने इस संबंध में ठीक ही कहा है कि, “प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि वह हर मनुष्य की जरूरत को पूरा कर सकती है लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के लालच को पूरा नहीं कर सकती।”
मानव जीवन और पर्यावरण को एक दूसरे के पूरक कहा जाता है बिना पर्यावरण के हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। वैश्विक मानव का लालच सबसे बड़ा पृथ्वी और पर्यावरण के लिए खतरा है। आज यह विश्व का सबसे बड़ा पर्यावरण आंदोलन के रूप में बदल गया है । 2008 में इलेक्ट्रॉनिक कार शुरू हुई जो पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर है । पृथ्वी दिवस से आयोजन से पृथ्वी को बचाने और पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए अनेक सम्मेलन संधिया और आयोजनों के माध्यम से पृथ्वी और पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखने के कदम उठाये हैं । वैश्विक मानव समाज की आज सकारात्मक सोच उत्पन्न करना बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। वैश्विक ज्ञान के प्रति मानवता की आवाज डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने बुद्ध की वाणी से सीख लेते हुए कहा कि न केवल जीव जंतुओं को वरन् पादप को भी नहीं सतना या काटना चाहिए। दया भाव मानव समुदाय में रहना चाहिए।
वैश्विक मानव समुदाय को अपने भीतर की समझदारी , ज्ञान , प्रेम , करुणा और सहयोग जैसे सकारात्मक भाव उत्पन्न करके लालच , क्रोध , भय ,
तृष्णा नकारात्मक विचार पृथ्वी और प्रकृति के प्रति उत्पन्न नहीं होने चाहिए। अर्थात नकारात्मक भाव दूर करके ही धरती मां और पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रख सकते हैं।
लेखक
सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़

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