Saturday, April 12, 2025
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“1 अप्रैल विश्व मूर्ख दिवस” हंसी मजाक होती हैं, नाराज या गुस्सा नहीं होना चाहिए

1 अप्रैल विश्व मूर्ख दिवस”
हंसी मजाक होती हैं, नाराज या गुस्सा नहीं होना चाहिए
विश्व में हर दिन को किसी ना किसी दिवस के रूप में मनाने का सिलसिला चलता रहता है। हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है। ऐसे ही प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को विश्व मूर्ख दिवस विश्व के सभी देशों में मनाया जाता है। विश्वपटल पर भी 1 अप्रैल को हर कोई एक दूसरे के साथ हंसी- मजाक, चुटकुले और खुशियों को परस्पर समर्पित करने को आतुर रहता है। आमतौर पर इस दिन लोग एक दूसरे की टांग खिंचते हैं, और शरारते भी करते हैं। लोग अपने प्रियजनों या दोस्तों को सरप्राइज करने के लिए तरह-तरह के आईडिया ढूंढते हैं। नए-नए आइडिया को अमलीजामा पहनाकर बहुत हंसते हैं, और फिर अंत में बताते हैं, कि आप अप्रैल फूल बन चुके हैं, यह मामला नकली था। इस दिन की खासियत यह है कि मूर्ख बना व्यक्ति नाराजगी या गुस्सा नहीं करता है। कई बार हंसी मजाक के इस सिलसिले में हम अनजाने में ही सामने वाले का दिल दुखा बैठते हैं ,जबकि हमारा इस तरफ ना तो कोई ध्यान जाता है ,और नहीं ऐसा करने का इरादा है, अतः हम हर बात को हंसी मजाक में लेकर तनाव को दूर करते हैं यही 1 अप्रैल का मकसद भी होता है।
1582 में जब फ्रांस के जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया था। जहां जूलियन कैलेंडर एक अप्रैल से नया साल शुरू होता था वही ग्रेगोरियन कैलेंडर में नया साल 1 जनवरी को शिफ्ट हो गया। इसको लेकर कहा जाता है कि कैलेंडर बदलने के बाद भी कई लोग इस बदलाव को समझ नहीं पाए और 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे।
यह तथ्य भी ज्ञात हुआ की “यूनानी देश से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी।” वहां एक व्यक्ति था जो स्वयं को बुद्धिमान समझता था और डींगे मारा करता था। उसे मूर्ख बनाने के लिए उसे कहा गया कि “अमूक पहाड़ी के पीछे अमूक समय पर अगले दिन सूरज देवता प्रकट होकर वहां मनोकामना पूर्ण करेंगे।” अगले दिन वह व्यक्ति जब वहां पहुंचा तो किसी को भी ना देखकर वह बहुत निराश हुआ। उसे जब वास्तविकता का ज्ञान हुआ तो वह बड़ा शर्मिंदा हुआ और फिर उसने डींगे मारना छोड़ दिया। चूंकि उस दिन 1 अप्रैल था, इसलिए उसे दिन को प्रतिवर्ष लोग मूर्ख दिवस के रूप में मनाने लगे।
इटली, इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों में इस दिन नौकर घर के मालिक बन जाते हैं, और घरों के मालिक नौकर बन जाते है। फिर नौकर अपने मालिकों पर हुकुम चलाते हैं, बच्चे भी इस दिन का खूब आनंद लेते हैं। भारत में 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत 19 वी शताब्दी की शुरुआत में अंग्रेजों ने की थी। अप्रैल फूल मनाने के लोगों ने कई तरीके लोगों ने ईजाद किये, जैसे किसी दोस्त का चुपके से फोन ले लेना, सेटिंग में जाकर भाषा बदल देना, आवाज बदलकर फोन पर तंग करना, नाश्ते में बिस्किट में क्रीम की जगह टूथपेस्ट लगा देना आदी।
वर्ष 1381,में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ने सगाई का ऐलान किया, लेकिन इसकी तारीख तय थी, 32 मार्च, 1381,यह खबर सुनकर लोग बहुत खुश हुए, लेकिन आमंत्रित मेहमानों को जल्द ही अहसास हुआ । कि 32 मार्च, की तारीख ही नहीं होती है। तभी से 32 मार्च यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। कुछ देशों में 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत 1392 से मानी जाती है। परंतु ज्ञात हुआ कि पहली बार मूर्ख दिवस मनाने का जो किस्सा मिला वह 640 वर्ष से भी पहले का था।
कुछ कहानियों के अनुसार अप्रैल फूल डे मनाने का सिलसिला 1582 में फ्रांस में शुरू हुआ था जिस दौरान चार्ल्स ने रोमन कैलेंडर की शुरुआत की थी ।
इस तरह हर कोई परस्पर अपने मित्रों, रिश्तेदारों और बॉस को भी उल्लू या मूर्ख बनाने का प्रयास नये-नये आइडिया से करते रहते हैं। वहीं हर कोई मूर्ख बने से बचना भी चाहता है। स्मरण रहे कि इस दिन मिलने वाली किसी की सूचना या बात को गंभीरता से नहीं लेवे। इसके साथ ही बिना जांच पड़ताल के विश्वास नहीं करने में ही समझदारी होगी। अन्य दिनों की तरह इस दिन मूर्ख बना व्यक्ति नाराज या गुस्सा नही होता है यही इस दिन की सबसे बड़ी खासियत है।
डॉ. बी. आर. नलवाया,
मंदसौर

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