अंधेर नगरी चौपट राजा…. विवादों में घिरी डिबाई नगर पालिका
नगर पालिका द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य में मिलावटी तथा घटिया सामग्री लगाने का है आरोप
डिबाई से धर्मेंद्र लोधी की रिपोर्ट
डिबाई। विगत वर्षों में आदर्श नगर पालिका की श्रेणी में शुमार डिबाई नगर पालिका परिषद एक बार फिर चर्चाओं में है। लेकिन इस बार डिबाई नगर पालिका परिषद के आदर्श होने की नहीं बल्कि विवादों में घिरे होने की चर्चाएं दो चार हैं। अरुण कुमार सिंघल के पालिका अध्यक्ष बनने के बाद से ही नगर पालिका परिषद में विवादों का दौर जारी है। जिनमें प्रमुख विवाद का विषय रहा वार्ड नंबर 14 के मौहल्ला चौक दुर्गा प्रसाद में दयाल भवन स्कूल के सामने बनी सड़क। जिसे टेंडर होने से लगभग 2 माह पूर्व ही मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए रातों रात नगर पालिका के ठेकेदार द्वारा बना दिया गया। जबकि ज्ञात हो कि इस कार्य का नपा द्वारा न कोई टेंडर निकाला गया और न ही आवश्यक प्रक्रिया ही पूर्ण की गईं। इसके बाद जब मामला अखबारों की सुर्खी बना तो नगर पालिका के आधा दर्जन कर्मचारी इसे न सिर्फ मैनेज करने में लग गए बल्कि निर्माण कार्य के बाद निकाले गए उक्त कार्य के टेंडर को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो मामला चर्चा- ए- आम हुआ तो ईमानदार एवं सख्त तेवरों से अलंकृत तत्कालीन अधिशासी अधिकारी रेनू यादव के हस्तक्षेप के उपरांत इसी तरह के लगभग 50 लाख रुपए के टेंडरों को निरस्त कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार निरस्त किए गए टेंडरों में अधिकांश कार्य नपा सीमा क्षेत्र से बाहर और कुछ लोगों को निजी लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रोसेस में लाए गए थे। ऐसा ही एक मामला डिबाई धर्मपुर मार्ग पर निर्माणाधीन गली तथा नाली का प्रकाश में आया है। जिसके साथ साथ उक्त गली के दूसरे छोर पर स्थित एक गेट बंद निजी कृषि भूमि पर निर्माणाधीन मकान के सामने एक रोड बनाया जा रहा है। जब इस संबंध में उक्त निर्माण करा रहे ठेकदार दिनेश कुमार जानकारी की गई तो दिनेश ने बताया कि ये निर्माण एक निजी भूमि पर हो रहा है। जिसे नगर पालिका परिषद द्वारा किए गए टेंडर के अंतर्गत कराया जा रहा है। पूछे गए सवाल पर स्वयं को ठेकेदार बताते हुए दिनेश ने बताया कि अभी इस स्थान पर एक ही मकान निर्माणाधीन है जिसके लिए इस रास्ते के नीचे पानी की लाइन भी डाली दी गई है और इस सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। इस संबंध में जब और जानकारी जुटाई गई तो ज्ञात हुआ कि इस सड़क निर्माण में न सिर्फ मसाले का प्रयोग मानकों के आधार पर नहीं हो रहा है। बल्कि इसमें प्रयोग होने वाली ईंट भी घटिया स्तर की लगाई जा रही है।अब नगर पालिका प्रशासन से प्रश्न ये बनता है कि एक कृषि भूमि में निर्माणाधीन मकान के लिए इतनी मशक्कत आखिर किस दवाब में की जा रही है। जबकि नगर पालिका परिषद को न तो एसीबी बैंक तथा व्यापार कर कार्यालय के निकट स्थित महीनों पुराने उस गड्ढे को भरने में कोई दिलचस्पी रखती है और न ही एनएच 509 के उन गड्ढों को भरने में जिसकी बजह से एक महिला को अपनी जान गंवानी गई तथा जो अब भी रात्रि अथवा अंधेरे में किसी और भी बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकते है। सुगबुगाहट के अनुसार नगर पालिका उन स्थानों को फोकस कर रही है जहां योगी सरकार द्वारा प्रदत्त धनराशि को खपाया कर अपने चहेतों को अधिक से अधिक लाभ अर्जित कराया जा सके। और इस काम को नपा अध्यक्ष अरुण कुमार सिंघल से बेहतर कौन समझ सकता है क्योंकि विदित है कि अरुण कुमार इस पद पर आसीन होने से पूर्व नगर पालिका परिषद में रजिस्टर्ड बड़े ठेकेदारों में शुमार रहे हैं। तो ठेकदारी का ऐसा कौन सा हथकंडा है जिससे चेयरमैन वाकिफ नहीं हों। लेकिन सूत्रों की माने तो महीनों से अधिशासी अधिकारी के पद खाली होने पर जिस तरह की मनमानियां अब तक चलीं आ रहीं है अब उन पर संभवतः विराम लगने का समय आ गया है। क्योंकि नगर पालिका परिषद द्वारा किए जा रहे घाल मेल तथा उक्त प्रकार की गतिविधियों के विषय में स्थानीय विधायक सीपी सिंह लोधी को जानकारी दे दी गई है। जिस पर अब देखना है कि पूर्व में बसपा सरकार और फिर सपा सरकार में विधायक गुड्डू पंडित के करीबी रहे अरुण सिंघल अपनी इसी कार्यशैली से आगे बढ़ते हैं या भाजपा विधायक सीपी सिंह लोधी नगर पालिका परिषद डिबाई में फैल रहे इस भ्रष्टाचार पर लगाम लगा पाते हैं।