Sunday, December 29, 2024
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महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया,सच्ची श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर बाबा साहब को नमन किया गया।

महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया,सच्ची श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर बाबा साहब को नमन किया गया।

डीके निगम
आज का दिन बाबासाहब के कार्यों पर स्वस्थ चिंतन के साथ प्रेरणा एवं संकल्प का दिन है।

बुलंदशहर शिकारपुर तहसील क्षेत्र के गांव हज़रतपुर मामऊं में भारतीय संविधान शिल्पी, विश्वरत्न, भारत रत्न से सम्मानित, विश्व में ज्ञान के प्रतीक (SIMBLE OF KNOWLEDGE ), निर्धन, शोषित, पीड़ित, वंचित लोगों की राजनीति के सूत्रधार, महिलाओं के मुक्तिदाता, महान समाज सुधारक, आधुनिक भारत के निर्माता, एक समान न्याय के प्रतीक, ऊंच-नीच की खाई को पाटने वाले, स्वतंत्रता, समानता न्याय व बंधुत्व के प्रहरी, सभी भारतीयों को सम्मान का जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले, राष्ट्र के मसीहा, महामानव बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर कोटि-कोटि नमन करते हुए एक सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शाम को भीम अनुयाई उपस्थित होकर बाबा साहब की प्रतिमाओ पर पुष्प अर्पित कर कैंडल मार्च निकाला गया। वही हजरतपुर
पूर्व ग्राम प्रधान नरेश गौतम ने कहा है कि बाबा साहब के महा परिनिर्वाण दिवस के मनाने तक क्या कोई व्यक्ति राष्ट्र, राष्ट्रीयता, मानवता व नैतिकता के प्रति समर्पित होकर कर्मयोगी रहकर उनका अनुसरण करते हुए कितने लोग आज भारत देश में परिनिर्वाण को प्राप्त करके जाना चाहते हैं अथवा गए हैं ? यदि नहीं तो क्यों ? ऐसा प्रतीत होता है कि हम बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर को सही अर्थों में नहीं समझने के कारण उनके अनुरूप न जीवन जी सके न परिनिर्वाण प्राप्त करने की इच्छा रख सके और नहीं परिनिर्वाण को प्राप्त हो सके।
श्रीपाल सिंह बौद्ध ने कहा है कि बाबा साहब के कार्यों को तो अधिकतर लोगों ने पढ़ा है अथवा स्मरण किया है किंतु उनका देशकाल अथवा परिस्थितियों के अनुसार अनुसरण नहीं किया है। यहां पर अधिकतर अंबेडकरवादी व्यक्ति अपने समकालीन एवं संकीर्ण व्यक्तिगत हितों के लिए जीवन जीता रहा है तथा दूसरे लोगों से उनका अनुसरण करके उनके अनुरूप कार्य करने की अपेक्षा करता है।

इंद्रपाल सिंह बौद्ध ने बताया है कि 26 नवंबर 1949 को बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में अंतिम वक्तव्य दिया था और उन्होंने कहा था कि हम अपने राष्ट्र को सबसे ऊपर मानेंगे या स्वयं को व धर्म को आज उनका अंतिम वक्तव्य सच साबित होता हुआ प्रतीत होता है कि लोगों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए स्वयं तथा धर्म को सबसे ऊपर रखा है तथा राष्ट्र को सबसे निचले स्तर पर मान रखा है जिसके कारण देश में अनेक समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं।
बबलू कुमार सिंह ने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 26 नंबर 1949 को संविधान सभा की मीटिंग में अंतिम वक्तव्य के समय जो आशंका व्यक्त की थी आज वह सच साबित होती हुई नजर आ रही है। आज चिंता का नहीं बहुत ही गहन चिंतन का विषय है कि इन परिस्थितियों से कैसे उबरा जाए ? इस पर हम सभी को मिलकर संजीदगी से खड़े होकर समझने व आगे बढ़ने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
रोबिन सिंह ने बताया है कि बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर राष्ट्र के मसीहा, राष्ट्र , राष्ट्रीयता, मानवता व नैतिकता को सर्वोपरि मानकर समता, स्वतंत्रता बंधुता और न्याय के सिद्धांत को दृष्टिगत रखकर दूरदृष्टि, दीर्घकालिक एवं विस्तृत हितों को आजीवन समर्पित व संकल्पित होकर कार्यरत रहे।
पूरन सिंह ने कहा है कि हम मात्र राजनैतिक आजादी की तरफ कुछ बढे हैं । अभी तो सामाजिक एवं आर्थिक आजादी बाकी है यह दिन बाबासाहेब से प्रेरणा लेकर उपरोक्त को शीघ्र प्राप्त करने के लिए संकल्पित होकर विश्लेषण करके आगे बढ़ने व काम करने की वचनबद्धता का दिन है
बिजेंद्र सिंह ने बताया है कि हम सभी को स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा,अवसर की समता, व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता पैदा करके इस राष्ट्र को बुलंदियों व अधिकार विहीन लोगों को उनके अधिकार दिलाने के लिए बाबासाहेब के नैतिक मूल्यों, त्याग, समर्पण एवं आदर्श से प्रेरणा लेकर काम करने का दिन है।
संकल्पित व समर्पित एवं संगठित होकर संविधान की उद्देशिका में किए गए वादे को पूरा करने के लिए संघर्ष सुनिश्चित करें। आज देश सक्षम नेतृत्वहीन, दिशाहीन, मार्गदर्शन विहीन परिस्थिति से गुजर रहा है। अधिकतर लोग अपना जीवन तो व्यक्तिगत, संकीर्ण एवं पारिवारिक हितों के लिए लगाते हैं तथा दूसरों को उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करते हैं जबकि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने स्वयं समर्पित होकर कार्य किया। हमको राष्ट्र निर्माण हेतु स्वयं कार्य करना चाहिए या दूसरों से अपेक्षा। जो स्वयं के लिए जीते हैं वे स्वयं ही जन्मदिन मनाते हैं और मरने के बाद समाप्त हो जाते हैं। जो राष्ट्र, राष्ट्रीयता, मानवता व नैतिकता को अंतिम समय तक कार्य करते हैं उनका परिनिर्वाण अन्य लोग मनाते हैं। आप स्वयं चिंतन करें कि हम क्या कर रहे हैं ? और हमको क्या करना चाहिए ? बाबा साहब के महा परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर राष्ट्र वादियों से अपेक्षा करते हैं कि निस्वार्थ भाव से समर्पित होकर राष्ट्र, राष्ट्रीयता, मानवता व नैतिकता के अनुरूप कार्य करने की प्रेरणा एवं संकल्प लेकर बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयाई बनेंगे। इसी आशा और विश्वास के साथ। आज महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया है। इस अवसर तमाम भीम अनुयाई उपस्थित रहे।

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