Thursday, October 24, 2024
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होमराज्यउत्तर प्रदेशसिंघाड़े की खेती के लिए जाना जाता है कस्बा अहमदगढ़।

सिंघाड़े की खेती के लिए जाना जाता है कस्बा अहमदगढ़।

सिंघाड़े की खेती के लिए जाना जाता है कस्बा अहमदगढ़।

दैनिक जन सागर टुडे ब्यूरो चीफ डीके निगम की रिपोर्ट 

बुलंदशहर  कस्बा अहमदगढ़ जो सिंघाड़े की खेती के लिए जाना जाता है सिंघाड़े की खेती करने वाले किसानों ने बताया की अहमदगढ़ के अंदर करीब 80 वर्षों से सिंघाड़े की खेती होती चली आ रही है और यहां अधिकांश 20000 बीघा से लेकर 25000 बीघा के बीच में सिंघाड़ा लगाया जाता है उत्तर प्रदेश में जनपद बुलंदशहर का कस्बा अहमदगढ़ एक ऐसा कस्बा है जहां उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सिंघाड़ा बोया जाता है और यहां के किसान सिंघाड़े की खेती के ऊपर ही निर्भर हैं सिंगाड़े की खेती बोते समय लोगों को काफी मेहनत करनी पड़ती है और तब करीब उन खेतों में सिंघाड़ा होता है जिन खेतों में दो फुट से लेकर तीन चार फीट तक पानी भरा रहता है अधिकांश सिंघाड़े की खेती नहर के पानी के ऊपर निर्भर है और कुछ लोग बिजली से और कुछ लोग इंजन से खेती करते हैं जब दैनिक जन सागर टुडे अखबार की टीम जनपद बुलंदशहर के कस्बा अहमदगढ़ पहुँची तो सिंघाड़े करने वाले किसानों ने बताया और किसानों से सिंघाड़े की खेती के बारे में जानकारी हासिल की और किसानों ने बताया की अहमदगढ़ कस्बा उत्तर प्रदेश में सिंघाड़े की खेती के नाम से जाना जाता है यहां से सिंघाड़ा दिल्ली की आजादपुर मंडी ,राजस्थान, हरियाणा ,पंजाब ,गुजरात, मध्य प्रदेश ,चंडीगढ़ ,उत्तराखंड काफी राज्यों में यहां से सिंघाड़ा जाता है सिंघाड़े की खेती लगभग 3 महीने में तैयार हो जाती है और उसके बाद मजदूरों के द्वारा पानी में घुसकर महिलाएं और पुरुष एक छोटी लोहे की नाव बनाकर उसमें बैठकर तोड़ते हैं क्योंकि सिंघाड़े की खेती वाले खेतों में पानी अधिक होने की वजह से कहीं कोई व्यक्ति पानी में फस जाए इसलिए उन छोटी नावों का प्रयोग किया जाता है जिससे कि सिंघाड़ा तोड़ने में किसी तरह की किसी मजदूर को कोई परेशानी ना हो सिंघाड़े को मजदूरों के द्वारा पानी में से तोड़ा जाता है और फिर उसे मजदूरों के द्वारा साफ करके बड़ी वाली बोरी होती हैं उनमें भरकर इनको बेचने के लिए अहमदगढ़ से दिल्ली आजादपुर मंडी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान ,उत्तराखंड सभी जगह की मंडियों में किसान ले जाते हैं और उसको बेचकर आते हैं अगर बात की जाए जनपद बुलंदशहर की तो जनपद बुलंदशहर में सिंगाडे की कोई भी ऐसी मंडी नहीं है जिसमें की किसान अपना माल बेच सके यहां नजदीक में इसको बेच सकें और अपनी फसल का उचित मुआवजा ले सकें हालांकि सिंघाड़े करने वाले किसानों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और जनपद बुलंदशहर के डीएम से भी एक अपील की है की सिंघाड़े वाले किसानों के लिए नहर का पानी आना बहुत जरूरी है अगर नहर में पानी नहीं आता है तो किसानों को सिंघाड़े की खेती में काफी नुकसान बैठेगा क्योंकि सिंघाड़े की खेती करने वाले किसानों का कहना है की एक बीघा सिंघाड़ा करने में करीब 10 से 12 हजार रुपये का खर्चा आता है अगर किसानों को नहर का पानी नहीं मिलेगा तो किसान की सिंघाड़े की खेती नष्ट हो जाएगी और जिससे किसानो को भारी नुकसान हो सकता है इसलिए नहर में पानी आना बहुत जरूरी है हालांकि सिंगाडे की खेती जब सर्दी का मौसम आता है तब ही शुरू होती है और यह अक्टूबर से लेकर फरवरी मार्च तक सिंघाड़ा चलता है जब सिंघाड़ा पक जाता है तो यह जो मिंग बनाई जाती है उसके काम में भी लाया जाता है जनपद बुलंदशहर का अहमदगढ़ मात्र एक ऐसा कस्बा है जिसमें बहुत भारी तादात में सिंघाड़े की खेती की जाती है बहुत दूर-दूर के राहगीर भी चलते हैं हुए अपने बच्चों के लिए एक-दो किलो जो ठेली लगाकर बैठे होते हैं उन पर से खरीद कर ले जाते हैं सिंघाड़े की खेती से मजदूर वर्ग के लोगों को भी प्रतिदिन मजदूरी मिलती रहती है मजदूर वर्ग के लोगों का भी यही कहना है कि हम लोग सिंघाड़े की खेती में मजदूरी करते हैं और सिंघाड़े तोड़ते हैं जिससे कि अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें क्योंकि मजदूर वर्ग के लोगों ने भी बताया की सिंघाड़ा अहमदगढ़ में करीब 70 से 80 वर्ष से होता चला आ रहा है अब अहमदगढ़ को माना जाए तो इसको हम सिंघाड़े की भी नगरी कह सकते हैं क्योंकि वहां के जो किसान हैं उन्होंने बताया है कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सिंघाड़ा पैदा करने वाला जनपद बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील क्षेत्र का कस्बा अहमदगढ़ है अब देखना यह होगा कि आखिरकार सबसे ज्यादा सिंघाड़ा होने वाले क्षेत्र के लिए उत्तर प्रदेश सरकार क्या सोचती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा हालांकि सिंघाड़े करने वाले किसानों का कहना है कि फिलहाल की बात करें तो सिंघाड़े का रेट लगभग मंडियों में 25 सौ रुपये से लेकर 2800 रुपए कुंतल के बीच में है अगर फुटकर दुकानदारों की बात करें तो फुटकर दुकानदार सिंघाड़े को ₹50 किलो बेच रहे हैं सिंघाड़े की खेती करने वाले किसानों को यह भी डर सता रहा है कि अगर मार्केट में रेट कम हो गए तो उससे भी किसान को नुकसान हो सकता है सिंघाड़े के किसानों का यह भी कहना है कि हमारे जनपद बुलंदशहर के आसपास में ऐसी कोई मंडी नहीं है जिससे कि हम अपनी सिंघाड़े की फसल को बेच सकें इसलिए हमको दिल्ली की आजादपुर मंडी में पंजाब हरियाणा राजस्थान उत्तराखंड में ले जाना पड़ता है इसलिए सरकार को सिंघाड़े की फसल के लिए बुलंदशहर के अंदर भी एक मंडी बना देनी चाहिए।

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