Wednesday, October 23, 2024
No menu items!
spot_img
spot_img
होमराज्यउत्तर प्रदेशनवीनतम तकनीकों के साथ किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी में आई क्रांतिकारी प्रगति

नवीनतम तकनीकों के साथ किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी में आई क्रांतिकारी प्रगति

नवीनतम तकनीकों के साथ किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी में आई क्रांतिकारी प्रगति

अलीगढ़: किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, जो उन्नत तकनीक, बेहतर सर्जिकल प्रक्रियाओं और रोगी देखभाल के आधुनिक प्रोटोकॉल के परिणामस्वरूप संभव हो पाई है। इन सुधारों ने न केवल प्रत्यारोपण की सफलता दर को बढ़ाया है, बल्कि रोगियों के लिए संपूर्ण अनुभव को भी अधिक सुखद और प्रभावी बना दिया है।

किडनी प्रत्यारोपण में रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी ने सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया है। यह प्रक्रिया न्यूनतम इनवेसिव है, जिससे सर्जरी में छोटे चीरे लगते हैं और आसपास के ऊतकों को कम नुकसान होता है। इसके साथ ही, रोगियों को कम दर्द का सामना करना पड़ता है और वे जल्दी स्वस्थ होकर अपने दैनिक जीवन में लौट सकते हैं। यह तकनीक मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इसमें घाव से संबंधित जटिलताओं जैसे हर्निया और घाव का खुलना जैसी समस्याएं कम होती हैं।

बीएलके-मैक्स अस्पताल के यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. यजवेन्द्र प्रताप सिंह राणा ने बताया कि “किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी में हाल के नवाचारों ने इसे रोगियों के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी बना दिया है। नई तकनीकों और बेहतर प्रक्रियाओं के कारण अब अधिक से अधिक लोग इस जीवन-रक्षक प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोइंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी नए समाधान मिल सकते हैं, जो किडनी प्रत्यारोपण के भविष्य को और अधिक उज्जवल बनाएंगे।”

किडनी प्रत्यारोपण में एक अन्य प्रमुख विकास इम्यूनोलॉजी और जेनेटिक्स में हुआ है, जिससे डोनर और प्राप्तकर्ता के बीच बेहतर मिलान संभव हो पाया है। अब अधिक उम्र या जटिल चिकित्सा स्थितियों वाले डोनर्स से भी गुर्दे स्वीकार किए जा रहे हैं, जिससे डोनर पूल का विस्तार हो रहा है। नई प्रोटोकॉल्स के जरिए अब उन मरीजों का भी सफल प्रत्यारोपण किया जा सकता है जो पहले इस प्रक्रिया के लिए योग्य नहीं माने जाते थे।

डॉ. राणा ने आगे बताया कि सर्जरी की तकनीकों में भी काफी सुधार हुए हैं। लेप्रोस्कोपिक तकनीक द्वारा किडनी निकालने और प्रत्यारोपित करने से न केवल सर्जरी के बाद दर्द में कमी आई है, बल्कि जटिलताएं भी कम हो गई हैं। इसके अलावा, कोल्ड प्रेज़रवेटिव सोलूशन्स की मदद से डोनर किडनी को लंबे समय तक जीवित रखा जा सकता है, जिससे सर्जरी की सफलता दर और भी बढ़ जाती है। सर्जरी के बाद रोगियों की देखभाल में भी सुधार हुआ है। एन्हांस्ड रिकवरी प्रोटोकॉल (ERP) के जरिए दर्द प्रबंधन, पोषण और गतिशीलता को अनुकूलित किया जाता है, जिससे रोगी जल्दी ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, टेलीमेडिसिन के माध्यम से बेहतर निगरानी और फॉलो-अप की सुविधा मिल रही है, जिससे किसी भी जटिलता के समय पर उपचार की संभावना बढ़ जाती है।“

दीर्घकालिक परिणामों को बेहतर बनाने के लिए इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं के क्षेत्र में भी शोध जारी है। नई दवाओं का उपयोग करके संक्रमण और प्रत्यारोपण अस्वीकृति जैसी समस्याओं को कम किया जा रहा है। साथ ही, व्यक्तिगत इम्यूनोसप्रेसिव योजनाओं के आधार पर उपचार से बेहतर दीर्घकालिक परिणाम मिल रहे हैं। किडनी प्रत्यारोपण में हुई ये प्रगति न केवल रोगियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार कर रही है, बल्कि उन्हें नई उम्मीद भी दे रही है।

- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img

NCR News

Most Popular

- Advertisment -spot_img