Thursday, November 21, 2024
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होमउत्तर प्रदेशआजमगढ़आजमगढ़ में हुआ मेरी प्रथम अनुगूंज' का भव्य लोकार्पण

आजमगढ़ में हुआ मेरी प्रथम अनुगूंज’ का भव्य लोकार्पण

आज़मगढ़-मेरी प्रथम अनुगूंज’ का भव्य लोकार्पण हुआ। आजमगढ़ में  ‘शालिनी साहित्य सृजन’ के तत्वावधान में होटल पार्क डिलाइट के सभागार में शालिनी राय ‘डिम्पल’ की पुस्तक ‘मेरी प्रथम अनुगूंज’ का भव्य लोकार्पण हुआ। सर्वप्रथम कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात रोशनी गोंड ने मां सरस्वती की बहुत ही सुंदर वंदना प्रस्तुत किया । इसके बाद आए हुए अतिथियों का स्वागत व सम्मान हुआ। तत्पश्चात कवयित्री शालिनी राय ‘डिम्पल’ की पुस्तक का भव्य लोकार्पण हुआ उसके बाद वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखें। सर्वप्रथम शालिनी राय ‘डिम्पल’ ने अपनी पुस्तक के कुछ अंश पढ़े तथा अपने पुस्तक के बारे में अपने विचार रखें। तत्पश्चात पूर्व प्रवक्ता वेस्ली इंटर कॉलेज कपिल देव राय ने अपने विचार रखें। उन्होंने पुस्तक को लोक व जन मानस के अनुकूल बताया। इसके बाद कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि तथा उप शिक्षा निदेशक अमरनाथ राय ने साहित्य व पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए स्व विचारधारा से प्रेरित होकर सृजन करने के लिए प्रेरित किया। तत्पश्चात कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि शशि सिंह (श्रम प्रवर्तन अधिकारी) ने अपने विचार रखें। इसके पश्चात मुख्य वक्ता डॉo प्रवेश कुमार सिंह ने पुस्तक पर विस्तार से चर्चा किया उन्होंने पुस्तक के भाव पक्ष और शिल्प पर गहनता से अपनी बात रखते हुए कहा कि कोई भी साहित्य, प्रेम के बिना अधूरा है प्रेम का परिमार्जन ही साहित्य की पराकाष्ठा है जो कि इस पुस्तक में सांगोपांग उपलब्ध है। जनपद के जाने माने संगीत आचार्य कौशल राय ने लोकार्पित पुस्तक से एक होली का गीत सुना करके माहौल को रसमय बना दिया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर राम सुधार सिंह विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी ने अपने विचार रखते हुए पुस्तक के सभी पक्षों पर खुलकर बात की उन्होंने पुस्तक में लिखे गए गीतों कविताओं की गहनता से पड़ताल करते हुए कहा कि साहित्य समाज का पथ प्रदर्शक होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य में जब एक नारी काव्य सृजन करती है तो, उसकी रचनाओं में आद्रता, दया, करुणा का भाव यह गुण आना स्वाभाविक है। इसके पश्चात शालिनी साहित्य सृजन के पदाधिकारीगण का सम्मान अंग वस्त्र व प्रशस्ति पत्र से किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभा के अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रभु नारायण पांडे प्रेमी ने अपने उद्बोधन में कविता को जीवन का माध्यम बताया और कहा कि साहित्य ही मानव जीवन को सरल व सहज बना सकती है। कार्यक्रम का सफल संचालन विजयेंद्र प्रताप श्रीवास्तव ‘करुण’ ने किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था की अध्यक्ष प्रज्ञा राय ने आए हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल राय, संजय पाण्डेय, डॉo आशा सिंह, डॉo पूनम तिवारी, डॉo डीपी तिवारी, चंदन सिंह, सत्यम प्रजापति, पवन गौतम, डॉo अजय गौतम, सन्तोष पांडे, रत्नेश राय, कौशल राय, डॉ० प्रतिभा सिंह, अनुपमा राय, अलका राय, अर्चना राय, शिखा मौर्य, अंजू राय, ममता राय, सिंपल सिंह, सुमि राय, डॉ० प्रीति रानी गुप्ता, बबीता राय, अनीता द्विवेदी, अरुणिमा सिंह, जया श्रीवास्तव, प्रतिभा श्रीवास्तव, प्रतिभा पाठक, दिनेश श्रीवास्तव, डॉ० इंदु श्रीवास्तव, रुद्रनाथ चौबे, सोहनलाल गुप्ता, लाल बहादुर चौरसिया ‘लाल’, प्रशांत , डॉ जेपी यादव, प्रीति गिरी इत्यादि लोग मौजूद रहे।

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