Thursday, November 21, 2024
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हरिऔध कला केंद्र में मेरा कुछ सामान व बूढ़ी काकी की नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को बांधे रखा, अन्य कार्यक्रमों का भी हुआ आयोजन

जनसागर टुडे 

आजमगढ़ – आजमगढ़ महोत्सव 2024 के तृतीय दिन 20 – सितंबर को मुख्य मंच हरिऔध कला केंद्र आजमगढ़ में नाट्य प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। दो नाट्य मेरा कुछ सामान व बूढ़ी काकी का मंचन हुआ। दर्शक भाव विभोर हो गए। अभिरंग फाउंडेशन की प्रस्तुति मेरा कुछ सामान जो कि रविकांत मिश्रा द्वारा लिखित है। जिसके निर्देशक कलाकार संजय पाण्डेय हैं। रागिनी पाण्डेय मुख्य भूमिका में रहीं। कथानक के अनुसार आज के दौर में घर घर में हो रहे पति पत्नी के बीच मतभेद और उसके परिणाम स्वरूप मामला माननीय न्यायालय में तलाक़ का केस चलता है उसी पे आधारित नाटक मेरा कुछ सामान जिसमें न्यायाधीश तलाक केश को मंजूर करने से पूर्व पति पत्नी को पुनः उसी घर में एक माह रहने का आदेश देते हैं जहां वो अपने विवाह के उपरांत दसकों तक रहे थे उसके बाद तलाक़ कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक के रिपोर्ट के आधार पर मंजूर की बात कही थी नाटक बेहद शानदार रहा जिसने हंसाया गुदगुदाया और रुलाया भी जिसने दर्शकों को एकदम मंत्रमुग्ध कर दिया नाटक का अंत सु:खद रहा पति पत्नी दोनों पूर्व की भांति मिल जाते है ।सहयोगी कलाकार दिया राजन कानू एवम् जाने माने अभिनेता मनोज सिंह टाइगर मंच अभीकल्पना मनीष सिर्के, प्रकाश परिकल्पना महेश विश्वकर्मा, पार्श्व संगीत अनीश सिंह रहे। द्वितीय नाटक – बूढ़ी काकी में पूरा श्रेय कल्पनाशील और दक्ष निर्देशक – अभिषेक पंडित का रहा। कथानक व विवरण के अनुसार बूढ़ी काकी मुंशी प्रेमचंद की कहानी बूढ़ी काकी पर आधारित है। बूढ़ी काकी विधवा और अकेली है। उसने अपनी सारी संपत्ति अपने भतीजे बुधीराम के नाम कर दी है बदले में बुधीराम और उसकी पत्नी रूपा उसकी देखभाल करते हैं बुधि काकी सारा दिन अकेली कोठरी में बैठी रहती हैं इस प्रकार उनके जीवन व्यतीत हो रहा है। आज घर में बुधीराम के बेटे का तिलक आया है उत्सव हो रहा है लोग गा रहे हैं नाच रहे हैं और भोज का आनंद ले रहे हैं भूखी प्यासी बुढ़ी काकी भोजन के सुगंध से व्याकुल हुई जा रही है घर के सभी सदस्य बहुत व्यस्त हैं उन्हें कोई पूछ नहीं रहा है जब सभी सो चुके हैं तब बुढ़ी काकी अपनी कोठरी से बाहर निकलकर उस स्थान पर जाती हैं जहां लोगों के खाए हुए जूठे पत्तल फेक हुए हैं उनमें से चुन चुन कर पूरी और मिठाइयां वह खाने लगती है यह दृश्य जब रूपा देखती हैं तो उसे आत्मज्ञलानी होती है वह बुढ़ी काकी से क्षमा मांगती है और उसे भोजन करने को देती है* इस प्रकार इस नाटक का सुखद अंत होता है। यह नाटक अपने शिल्प के स्तर पर बहुत ही प्रयोगवादी साबित होता है प्रेमचंद की ग्रामीण जीवन की यह कहानी बिल्कुल आधुनिक ढंग से प्रस्तुत की जाती है इसका पूरा श्रेय कल्पनाशील और दक्ष निर्देशक अभिषेक पंडित* को जाता है। मंच पर कुल पांच अभिनेता बारी-बारी से बुढ़ी काकी का अभिनय करते हैं। जो अपने आप में एक अनूठा प्रयोग है। नाटक का सबसे मजबूत पक्ष उसका संगीत है जिसे मध्य प्रदेश नाटक विद्यालय भोपाल से प्रशिक्षित शशिकांत कुमार ने रचा है। अभिनेताओं के सधे हुए अभिनय दर्शकों को हसने रोने को विवश कर देता है। नाटक का कोरस गायन रेखांकित किया जाने वाला है। मंच पर मुख्य अभिनेता के रूप में ममता पंडित डॉo अलका सिंह अंगद कश्यप संदीप कुमार सूरज यादव अपने भावपूर्ण और शानदार अभिनय से पूरी कहानी को जीवंत कर देते हैं और पूरे समय दर्शकों को बांधे रखते हैं। नाटक का संगीत लोक धुनों और कबीर वाणी पर आधारित है जो की काफी कर्णप्रिय बन पड़ा हैं और नाटक को गति प्रदान करने वाला है। मंच पर सत्यम कुमार शिवम कुमार नेहा कुमारी सुमन अनिल कुमार गोपाल मिश्रा गोपाल चौहान रोशन पांडे हर्ष कुमार विशाल कुमार कोरस के रूप में शानदार गायन का प्रदर्शन किया पार्श्व मंच अमित गौर विवेक पांडे सुधीर का कार्य सराहनीय रहा। ढोलक वादन शैलेश का रहा।इसके अलावा जल संरक्षण बच्चों के फैंसी शो का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि जिला संस्कृति पर्यटन अधिकारी रूपेश गुप्ता रहे। प्रमुख उपस्थिति अभिनेता संजय पाण्डेय रागिनी पाण्डेय मनोज सिंह “टाइगर” संतोष श्रीवास्तव आदि की रही।

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