Sunday, November 24, 2024
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वन विभाग के रेंजर झोंक रहे हैं विभाग की आंखों में धूल ?

98 पेड़ों की परमिशन की आड़ में काट दिए गए कई दर्जन बौर युक्त आम के पेड़

बुलंदशहर/ डिबाई। कहते हैं कि हरे भरे पेड़ों को काटना पाप है। क्योंकि पेड़ों में भी प्राण बसते हैं। उस पर सोने पे सुहागा ये कि वो पेड़ बौर युक्त भी हों, तब तो किसी भी लकड़ी ठेकेदार तथा बाग मालिक द्वारा किया गया ये कृत्य निश्चित ही कानून अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन कैसा अपराध और कैसा कानून।

क्योंकि जब कानून की मुहाफिज ही कानून के भक्षक बन जाएं तो फिर क्या आप किसी से न्याय और कानून व्यवस्था के पारदर्शी होने की उम्मीद रखेंगे। मामला है थाना क्षेत्र डिबाई के कर्णवास मार्ग स्थित खुशालाबाद ग्राम का जहां हरे भरे आम के बाग में बेखौफ उस वक्त जम कर आरा चलाया गया जब आम के अधिकांश पेड़ों पर बौर लग चुका है।

हालांकि जब उक्त कथित लकड़ी ठेकेदार के विषय में जानकारी की गई तो ज्ञात हुआ कि उक्त ठेकेदार के पास वन एवं उद्यान विभाग द्वारा जारी सरकारी परमिशन थी। जो कि 98 उन पेड़ों के लिए थी सूखे, रोग ग्रस्त तथा झुके हुए हों। लेकिन गुरुवार को प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त ठेकेदार ने न सिर्फ उस बाग के सभी पेड़ काट डाले जिनमे से केवल 98 पेड़ों की परमिशन विभाग द्वारा दी गई थी।

बल्कि उक्त बाग के बराबर खड़े आम के उन दरखतों को भी काट गिराया गया जिनमे से अधिकांश आम के पेडों पर बौर लगा हुआ था। परंतु इसी मामले पर रेंजर मोहित चौधरी ने उक्त ठेकेदार को क्लीन चिट देते हुआ कहा कि उक्त ठेकेदार द्वारा उतने ही पेड़ काटे गए हैं

जितने की उनके पास विभागीय परमिशन थी। हालांकि इस विषय पर जब जानकारी ली गई तो रेंजर मोहित चौधरी ने बताया कि उक्त मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच की जा रही है और जांच में दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी। हालांकि यदि इस प्रकरण को जीपीआरएस प्रणाली से जांचा जाए तो तस्वीर बिलकुल स्पष्ट हो जायेगी कि उक्त बाग में कितने पेड़ थे और आज कितने पेड़ हैं।

जानकारों की मानें तो इस खेल में लाखों रुपए का न सिर्फ बंदरबांट हुआ है बल्कि नियम और कानून को ताक पे रख कर विभाग के कर्मचारियों व रेंजर द्वारा डीएफओ सहित तमाम उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है। हालांकि इस सब में जिला वन अधिकारी व मेरठ टीम अपनी नजर बनाए हुए है और उनकी सख्त शैली के चलते संभवतः उक्त ठेकेदार पर जुर्माना भी किया जाए लेकिन इस सब में एक सवाल तो बनता है

कि एक ईमानदार छवि और सख्त कार्यशैली के धनी डीएफओ विनीता सिंह को आखिर रेंजर मोहित चौधरी जैसे अपने अधिनस्तो की रिपोर्ट पर कब तक खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे। क्या रेंजर मोहित चौधरी की अविश्वसनीयता युक्त रिपोर्ट डीएफओ विनीता सिंह को निष्पक्ष और विधिपूर्ण कार्यवाही करने देगी। या ऐसे ही रेंजर पूरे विभाग को ठेंगा दिखाते रहेंगे।

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