Wednesday, October 23, 2024
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हरे वृक्षों की अवैध कटाई न रुकी तो जल्द खत्म हो जाएंगे हरे बाग और हरियाली

बुलंदशहर/पहासू। धरती को हरा-भरा बना कर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक तरफ सरकार लगातार चिंतित है और इसके लिए कई तरह के प्रयास कर पर्यावरण दिवस पर करोड़ों की तादाद में वृक्षारोपण करा कर वातावरण को संतुलित करने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर वृक्ष माफिया वन संरक्षण के नियमों को ताक पर रखकर जनपद बुलन्दशहर अरनिया रेंज के पहासू क्षेत्र के गांव फजलपुर से रंजीत नगला को जाने वाले रास्ते से लगभग पन्द्रह जामुन और तीन चार सागौन के पेड़ो को अवैध रूप से काट लिया गया हैं।

यही नहीं पूर्व में अल्लीपुर में भी लगभग तीन-तीन बीघा की दो बागों का काट दिया और पूर्व में ही मऊआखेड़ा के रास्ते पर प्रेट्रोल पम्प के पीछे व अन्य कई जगह अवैध कटान कर दिया गया था। लेकिन सूत्रों के अनुसार जानकारी दी गई कि विभाग द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई हैं। विभाग के नचीलेपन से अरनिया रेंज क्षेत्र में किसानों के खेतो से स्वस्थ हरे आम, जामुन समेत कई प्रतिबंधित वृक्षों की प्रजातियों के पेड़ लकड़ी माफिया धड़ल्ले के काट रहे है।

वन विभाग के अधिकारियो की आंखों पर भी भ्रष्टाचार का पर्दा पड़ जाता है और वृक्षों की खरीद फरोख्त करने वाले कारोबारियों के द्वारा हरे वृक्षों को काट-काट कर योगी सरकार के इस अभियान को ठेंगा दिखा रहे है। जिला बुलन्दशहर की अरनिया रेंज क्षेत्र जो एक आम की बहुतायत फसल वाला क्षेत्र है वर्तमान समय मे कारोबारियों के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक आरा मशीन और कुल्हाड़े का शिकार हो रहा है। मामले पर जल्द ध्यान ना दिया गया तो सड़क किनारे खड़े आम के बागों सहित अन्य प्रतिबंधित संरक्षित वृक्षों का सुपड़ा साफ हो जाएगा जो पर्यावरण के लिए बहुत घातक सिद्ध होगा।

जिला बुलन्दशहर के अरनिया रेंज के पहासू क्षेत्र में रोड़ व रोड़ के आसपास के इलाकों में लगे हरे आम के बागो व स्वस्थ हरे वृक्षो पर पेड़ माफियाओं का कुल्हाड़ा धड़ल्ले से चल रहा है। कैबिनेट ने यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों में बदलाव करते हुए प्रतिबंधित श्रेणी के वृक्षों की संख्या बढ़ाकर 29 कर दी थी। प्रत्येक वृक्ष के काटने पर दो पौधे लगाने और उनके संरक्षण का प्रस्ताव था, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने पौधरोपण की संख्या बढ़ाकर प्रति वृक्ष 10 कर दी। अगर काटने वाले के पास इतने पौधे लगाने के लिए जमीन नहीं है तो वह वन विभाग को इसके लिए धनराशि जमा करेगा। वन विभाग इस रकम से पौधे लगाकर उनका संरक्षण करेगा।

परंतु इस प्रकार के किसी भी नियम का अनुसरण ना तो वन विभाग कर रहा है न ही वन विभाग किसानों को करवा रहा है। बिना अनुमति के हरे भरे स्वस्थ वृक्षों को कटवा कर वन विभाग भी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़े वृक्ष माफियाओं द्वारा दिये जाने वाले नोटों की खनखनाहट का खूब आनंद ले रहा है। कटान किये हुए सभी वृक्ष आम तौर पर अरनिया रेंज के पहासू कस्बे में स्थित आरामशीनों पर आम, नीम, जामुन व अन्य लकड़ी को खुलेआम देखा जा सकता है।

और खुलेआम प्रतिबंधित वृक्षों की खरीद-फरोख्त कर बिना किसी डर के तस्करी की जाती है। इसी प्रकार की खरीद-फरोख्त और प्रतिबंधित वृक्षों का कटान व तस्करी होती रही तो जल्द ही जनपद के रेंज क्षेत्रों की यह हरित बेल्ट बंजर हो जाएगी और वातावरण का इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

मामले को संज्ञान में लेकर उच्च अधिकारियों को मामले की जांच करनी चाहिए और वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार भी यह जांच करनी चाहिए कि क्षेत्र में कितनी मात्रा में आम, जामुन समेत अन्य प्रतिबंधित वृक्ष काटे गए हैं और क्यों काटे गए हैं वर्तमान समय में बहुत बड़ी मात्रा में बिना अनुमति के अवैध तरीके से बड़ी मात्रा में वृक्षों की कटाई की जा रही है हरे भरे बागों को उजाड़ा जा रहा है।

जंगलों से रोजाना काटे जा रहे हरे पेड़

पहासू के जंगल में इन दिनों हरे पेड़ों की कटाई वन माफिया द्वारा जमकर की जा रही है। पुलिस-प्रशासन और वन विभाग का ध्यान इस ओर नहीं हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल में बड़े पेड़ पूरी तरह समाप्त होने के कगार पर हैं। वन माफिया के खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो पाने से माफिया में खौफ नहीं हैं। दिन व रात में पेड़ों की कटाई की जाती है और ट्रैक्टर ट्रॉली व बुग्गी के जरिए पहासू में लाकर आरा मिल संचालकों को बेचा जाता है। सूत्रों के द्वारा बताया जाता हैं कि क्षेत्रीय वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अवैध कटान पर छापेमारी तो की जाती है लेकिन लकड़ी माफियाओं से साठ-गांठ कर कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की जाती हैं।

क्या कहते हैं रेंजर

– जंगलों में लकड़ी काटने की सूचना पर लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। किसी भी कीमत पर वन माफिया को बख्शा नहीं जाएगा। सूचना के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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