जनसागर टुडे
आजमगढ़ / सूरज सिंह – श्री सर्वेश्वर समूह शाखा मेहनाजपुर आजमगढ़ द्वारा संचालित अवधूत भगवान राम बाल -वाटिका गुरूकुल विद्यालय महुआपार के प्रांगण में दिनांक 21 फरवरी 2024 ,दिन बुधवार को निशुल्क स्वास्थ्य व नेत्र जांच शिविर लगाया गया लगाया | जिसमें तरवा ब्लॉक के अंतर्गत क्षेत्र के कई जगह से ग्रामीणों ने नेत्र जांच शिविर में हिस्सा लिया | नेत्र जांच के उपरांत श्री सर्वेश्वरी समूह के शाखा के ऑडिटर राहुल सिंह ने बताया कि परम पूज्य बाबा अवधूत राम भगवान जी ने श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना 21 सितंबर सन 1961 को किऐ जिसमें उन्होंने समाज के शोषित और उपेक्षित वर्ग के लिए कुछ लोक कल्याणकारी कार्यक्रम भी चलाए ,उसी के अंतर्गत आज हम लोग मोतियाबिंद के ऑपरेशन हेतु निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के माध्यम से यह कार्यक्रम का आयोजन किये हैं | श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर द्वारा पिछले महीने 07 जनवरी 2024को इसी प्रांगण से कंबल वितरण भी 235 जरूरतमंद लोगों मे किया गया था साथ ही साथ उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल में भी मरीजों को फल वितरण का आयोजन करने का प्रयास किया जा रहा है,राहुल सिंह जी ने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए रजिस्टर्ड डॉक्टर द्वारा सभी मरीजों का परीक्षण किया गया है और जो मोतियाबिन्द आप्रेशन योग्य मरीज निकले हुए है उनकी लिस्टिंग करने के बाद पूर्ण जांच के उपरांत डॉक्टर के संतुष्टि के बाद ही ऑपरेशन के लिए लेकर जाएंगे | उनका कहना है कि आज शिविर में जांच का कार्यक्रम हुआ है इसके उपरांत जिन मरीजों को ऑपरेशन की आवश्यकता है उन सभी मरीजों को अस्पताल में ऑपरेशन के लिए लेकर जाएंगे | जिसमे मरीजों के आने जाने के साथ-साथ नास्ते व भोजन की व्यवस्था श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर द्वारा किया जाएगा | नेत्र शिविर में डॉक्टर आर के सिंह व उनके साथी डॉक्टर एसके शर्मा जीवन निधि आई हॉस्पिटल बेलईसा आजमगढ़ के तरफ से नेत्र जाँच शिविर में जांच करने के उपरांत बताया कि हम सभी श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर के मंत्री श्री हरिश्चंद्र सिंह जी के सौजन्य से मोतियाबिंद वह आंख से जुड़े कई बीमारियों का जांच कर रहे हैं | जिसमें मोतियाबिंद से जुड़े जितने भी मरीज है उनका सर्वेश्वरी समूह मेहनाजपुर शाखा आजमगढ द्वारा हमारे अस्पताल के जरिए मुफ्त आपरेशन किया जाएगा जिसमें किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा | इन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि हमारा संगठन श्री सर्वेश्वरी समूह नेतृत्व में चलता है और परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का जन्म १२ सितंबर १९३७ में बिहार राज्य के आरा जिले के गुंडी ग्राम में हुआ था। वो अपने पिता श्री वैजनाथ सिंह जी और माता लखराजी देवी के इकलौते पुत्र थे। ५ वर्ष की अवस्था में ही श्री भगवान राम जी के पिता का देहांत हो गया था।
भगवान राम जी ने आजमगढ़ – श्री सर्वेश्वर समूह शाखा मेहनाजपुर आजमगढ़ द्वारा संचालित अवधूत भगवान राम बाल -वाटिका गुरूकुल विद्यालय महुआपार के प्रांगण में दिनांक 21 फरवरी 2024 ,दिन बुधवार को निशुल्क स्वास्थ्य व नेत्र जांच शिविर लगाया गया लगाया | जिसमें तरवा ब्लॉक के अंतर्गत क्षेत्र के कई जगह से ग्रामीणों ने नेत्र जांच शिविर में हिस्सा लिया | नेत्र जांच के उपरांत श्री सर्वेश्वरी समूह के शाखा के ऑडिटर राहुल सिंह ने बताया कि परम पूज्य बाबा अवधूत राम भगवान जी ने श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना 21 सितंबर सन 1961 को किऐ जिसमें उन्होंने समाज के शोषित और उपेक्षित वर्ग के लिए कुछ लोक कल्याणकारी कार्यक्रम भी चलाए ,उसी के अंतर्गत आज हम लोग मोतियाबिंद के ऑपरेशन हेतु निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के माध्यम से यह कार्यक्रम का आयोजन किये हैं | श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर द्वारा पिछले महीने 07 जनवरी 2024को इसी प्रांगण से कंबल वितरण भी 235 जरूरतमंद लोगों मे किया गया था साथ ही साथ उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल में भी मरीजों को फल वितरण का आयोजन करने का प्रयास किया जा रहा है,राहुल सिंह जी ने बताया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए रजिस्टर्ड डॉक्टर द्वारा सभी मरीजों का परीक्षण किया गया है और जो मोतियाबिन्द आप्रेशन योग्य मरीज निकले हुए है उनकी लिस्टिंग करने के बाद पूर्ण जांच के उपरांत डॉक्टर के संतुष्टि के बाद ही ऑपरेशन के लिए लेकर जाएंगे | उनका कहना है कि आज शिविर में जांच का कार्यक्रम हुआ है इसके उपरांत जिन मरीजों को ऑपरेशन की आवश्यकता है उन सभी मरीजों को अस्पताल में ऑपरेशन के लिए लेकर जाएंगे | जिसमे मरीजों के आने जाने के साथ-साथ नास्ते व भोजन की व्यवस्था श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर द्वारा किया जाएगा | नेत्र शिविर में डॉक्टर आर के सिंह व उनके साथी डॉक्टर एसके शर्मा जीवन निधि आई हॉस्पिटल बेलईसा आजमगढ़ के तरफ से नेत्र जाँच शिविर में जांच करने के उपरांत बताया कि हम सभी श्री सर्वेश्वरी समूह शाखा मेहनाजपुर के मंत्री श्री हरिश्चंद्र सिंह जी के सौजन्य से मोतियाबिंद वह आंख से जुड़े कई बीमारियों का जांच कर रहे हैं | जिसमें मोतियाबिंद से जुड़े जितने भी मरीज है उनका सर्वेश्वरी समूह मेहनाजपुर शाखा आजमगढ द्वारा हमारे अस्पताल के जरिए मुफ्त आपरेशन किया जाएगा जिसमें किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा | इन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि हमारा संगठन श्री सर्वेश्वरी समूह नेतृत्व में चलता है और परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का जन्म १२ सितंबर १९३७ में बिहार राज्य के आरा जिले के गुंडी ग्राम में हुआ था। वो अपने पिता श्री वैजनाथ सिंह जी और माता लखराजी देवी के इकलौते पुत्र थे। ५ वर्ष की अवस्था में ही श्री भगवान राम जी के पिता का देहांत हो गया था।
भगवान राम जी ने सात साल की अवस्था में ही अपने घर और गांव को छोड़ दिया। चौदह वर्ष की आयु में ये वाराणसी आये। वो क्रीं कुंड स्थल पर गये और वहां पूज्य श्री राजेश्वर राम जी से दीक्षा प्राप्त किये। उनसे दीक्षा पाकर अघोर परंपरा में प्रतिष्ठित हो गये। कुछ समय पश्चात वो क्रीं कुंड से निकलकर अनेक स्थानों का भ्रमण किये। वे पवित्र तीर्थ स्थान गिरनार पर्वत श्रृंखला पर गये और वहां भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद प्राप्त किये।
बाबा भगवान राम ने अघोर परम्परा से हटकर अपने को समाज में स्थापित करने का निर्णय लिया। वो चाहते थे कि समाज में आकर औघड़ अपनी क्षमता, समय को जनकल्याण में लगायें। इसी उद्देश्य से समाज, राष्ट्र और मानवता की सेवा के लिए उन्होंने श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना २1 सितंबर १९६१ को की।
परम्परा के अनुसार उनके लौकिक गुरु श्री राजेश्वर राम जी ने उन्हें क्रीं कुंड के महंथ पद पर आसीन होने को कहा, किन्तु उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया, क्योंकि उन्होंने पहले ही समाज और राष्ट्र की सेवा करने का व्रत ले लिया था जिसके अंतर्गत उन्होंनें श्री सर्वेश्वरी समूह कुष्ठ सेवा आश्रम की स्थापना कर गलित कुष्ठ व हर प्रकार के असहाय व उपेक्षित जनों के पूर्ण इलाज की समुचित व्यवस्था दिये हैं ,ज्ञात हो, कि कुष्ठ के इलाज में हमारे आश्रम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड व लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सुनहरे अक्षरों में इंगित है।
29 नवंबर 1992को अघोरेश्वर महाप्रभु भगवान राम ने समाधि ले ली। वाराणसी स्थित उनकी समाधि का नाम ” महाविभूति ” स्थल है।
उनके परम शिष्य और उत्तराधिकारी के रूप में वर्त्तमान गुरुजी पूज्यपाद गुरुपद संभव राम जी के नेतृत्व मे समूह का कार्यक्रम आज देश भर व विदेश मे भी संपादित किया जा रहा है।
परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के अनुयायियों की संख्या बहुत अधिक है। समाज के हर वर्ग के लोग धनी, निर्धन सभी धर्मो के लोग उसमे सम्मिलित हैं। उनसे मिलने के बाद अनेक लोगों ने पूरा जीवन उनके साथ बिताया है। बाबा के अनुयायी दो तरह के हैं, एक तो जनसाधारण, गृहस्थ शिष्य और दूसरे मुड़िया साधु। मुड़िया साधु वैसे शिष्यों में से है जो बाबा भगवान राम से अघोर साधना की दीक्षा लेकर साधना किये हैं, और भगवान राम के सामधिस्थ होने के बाद उनके द्वारा आरम्भ किये गये समाज और राष्ट्र की सेवा के कार्यो को आगे बढ़ा रहे है। इस अवसर पर शाखा उपाध्यछ श्री विजयशंकर जी ,कार्यलय मंत्री श्री हरिश्चंद्र सिंह, संयुक्त मंत्री श्री नर्वदेश्वर सिंह, एवं शाखा परिवार, प्रचार मंत्री श्री कौशलेंद्र प्रताप सिंह, व्यवस्थापक श्री सुभाष सिंह जी, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री हरी लाल कनौजिया, उदय शंकर दुबे, विनोद सिंह विशिष्ट संयोजक संतोष कुमार सिंह जी निवासी रामपुर पत्रकार हिंदुस्तान,वरिष्ठ सदस्य श्री राजबली जी, हवलदार सिंह, शिवराम सिंह विपिन दुबे, प्रिंस सिंह, युवा साथी मौजूद रहे |सात साल की अवस्था में ही अपने घर और गांव को छोड़ दिया। चौदह वर्ष की आयु में ये वाराणसी आये। वो क्रीं कुंड स्थल पर गये और वहां पूज्य श्री राजेश्वर राम जी से दीक्षा प्राप्त किये। उनसे दीक्षा पाकर अघोर परंपरा में प्रतिष्ठित हो गये। कुछ समय पश्चात वो क्रीं कुंड से निकलकर अनेक स्थानों का भ्रमण किये। वे पवित्र तीर्थ स्थान गिरनार पर्वत श्रृंखला पर गये और वहां भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद प्राप्त किये।
बाबा भगवान राम ने अघोर परम्परा से हटकर अपने को समाज में स्थापित करने का निर्णय लिया। वो चाहते थे कि समाज में आकर औघड़ अपनी क्षमता, समय को जनकल्याण में लगायें। इसी उद्देश्य से समाज, राष्ट्र और मानवता की सेवा के लिए उन्होंने श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना २1 सितंबर १९६१ को की।
परम्परा के अनुसार उनके लौकिक गुरु श्री राजेश्वर राम जी ने उन्हें क्रीं कुंड के महंथ पद पर आसीन होने को कहा, किन्तु उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया, क्योंकि उन्होंने पहले ही समाज और राष्ट्र की सेवा करने का व्रत ले लिया था जिसके अंतर्गत उन्होंनें श्री सर्वेश्वरी समूह कुष्ठ सेवा आश्रम की स्थापना कर गलित कुष्ठ व हर प्रकार के असहाय व उपेक्षित जनों के पूर्ण इलाज की समुचित व्यवस्था दिये हैं ,ज्ञात हो, कि कुष्ठ के इलाज में हमारे आश्रम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड व लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सुनहरे अक्षरों में इंगित है।
29 नवंबर 1992को अघोरेश्वर महाप्रभु भगवान राम ने समाधि ले ली। वाराणसी स्थित उनकी समाधि का नाम ” महाविभूति ” स्थल है।
उनके परम शिष्य और उत्तराधिकारी के रूप में वर्त्तमान गुरुजी पूज्यपाद गुरुपद संभव राम जी के नेतृत्व मे समूह का कार्यक्रम आज देश भर व विदेश मे भी संपादित किया जा रहा है।
परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के अनुयायियों की संख्या बहुत अधिक है। समाज के हर वर्ग के लोग धनी, निर्धन सभी धर्मो के लोग उसमे सम्मिलित हैं। उनसे मिलने के बाद अनेक लोगों ने पूरा जीवन उनके साथ बिताया है। बाबा के अनुयायी दो तरह के हैं, एक तो जनसाधारण, गृहस्थ शिष्य और दूसरे मुड़िया साधु। मुड़िया साधु वैसे शिष्यों में से है जो बाबा भगवान राम से अघोर साधना की दीक्षा लेकर साधना किये हैं, और भगवान राम के सामधिस्थ होने के बाद उनके द्वारा आरम्भ किये गये समाज और राष्ट्र की सेवा के कार्यो को आगे बढ़ा रहे है। इस अवसर पर शाखा उपाध्यछ श्री विजयशंकर जी ,कार्यलय मंत्री श्री हरिश्चंद्र सिंह, संयुक्त मंत्री श्री नर्वदेश्वर सिंह, एवं शाखा परिवार, प्रचार मंत्री श्री कौशलेंद्र प्रताप सिंह, व्यवस्थापक श्री सुभाष सिंह जी, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री हरी लाल कनौजिया, उदय शंकर दुबे, विनोद सिंह विशिष्ट संयोजक संतोष कुमार सिंह जी निवासी रामपुर पत्रकार हिंदुस्तान,वरिष्ठ सदस्य श्री राजबली जी, हवलदार सिंह, शिवराम सिंह विपिन दुबे, प्रिंस सिंह, युवा साथी मौजूद रहे |