Saturday, November 23, 2024
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विश्व हिंदू महासंघ आजमगढ़ ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 394वें जयंती पर किया नमन

जनसागर टुडे

आजमगढ़ / सूरज सिंह – आजमगढ़ के देवगांव जिला अन्नपूर्णा ढाबा पर विश्व हिंदू महासंघ गौरक्षा प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष तेज प्रताप सिंह के नेतृत्व मैं छत्रपति शिवाजी का जन्म जयंती मनाया गया |

जिसमे क्षेत्र के कई हिंदू व गौ भक्त सम्मिलित रहे | जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय पांडे रहे | कार्यक्रम में प्रदेश मंत्री कमलेश सिंह जी ने लोगों को गौ रक्षा वह गौ सेवा के बारे में बताया | वहीं वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय पांडे ने छत्रपति शिवाजी का श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उन्होंने बताया कि हर साल 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है. इनका जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में मराठा परिवार में हुआ था. शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोंसले था. इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था. शिवाजी के पिताजी अहमदनगर सलतनत में सेनापति थे. वहीं माता की रुचि धार्मिक ग्रंथों में थी, जिसका प्रभाव शिवाजी के जीवन पर भी पड़ा. जिस दौर में महाराज शिवाजी का जन्म हुआ था. उस समय देश में मुगलों का आक्रमण चरम पर था. महाराज शिवाजी ने ही मुगलों के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया |
वही प्रदेश मंत्री कमलेश सिंह जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ पहला आक्रमण तब किया जब वे केवल 15 वर्ष के थे. यह आक्रमण हिंदू साम्राज्य स्थापित करने के लिए था. इसे गोरिल्ला युद्ध की नीति कहा गया. शिवाजी ने युद्ध की इस नई शैली को विकसित किया. गोरिल्ला युद्ध का सिद्धांत होता है- ‘मारो और भाग जाओ’. शिवाजी ने बीजापुर पर हमला किया और गोरिल्ला युद्ध नीति व अपनी कुशल रणनीति से बीजापुर के शासक आदिलशाह को मात दी और बीजापुर के चार किलो पर भी कब्जा कर लिया. जिला अध्यक्ष तेज प्रताप सिंह जी ने लोगों को छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में बताते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींख रखी. इस समय शिवाजी को औपचारिक रूप से मराठा साम्राज्य के सम्राट का ताज पहनाया गया. छत्रपति शिवाजी को मराठा गौराव कहा गया. गंभीर बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई. लेकिन उनके योगदान हमेशा याद किए जाते रहेंगे. शिवाजी के बाद इनके पुत्र संभाजी ने राज्य की कमान संभाली.
जन्म जयंती पर सभी अतिथि गण को माल्यार्पण व अंग वस्त्र देखकर सम्मानित किया गया | जन्म जयंती पर मुख्य अतिथि गोरखा प्रकोष्ठ संजय पांडे जी के साथ वाराणसी के कई उच्च पदाधिकारी के साथ-साथ आजमगढ़ के कई पदाधिकारी मौजूद रहे |

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