जनसागर टुडे
जलाभिषेक के लिए अनेक शहरों से श्रद्धालु आएः श्रीमहंत नारायण गिरि
गाजियाबादः
कई दिन से हो रही बारिश के कारण जगह-जगह हुआ जलभराव भी श्रद्धालुओं के कदमों को नहीं रोक पाया और सावन के पहले सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि बारिश पर आस्था भारी पड़ी और मंदिर में भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करने के लिए देश भर से श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार रविवार की रात्रि 12 बजे से ही लगनी शुरू हो गई थी और सुबह तक तो कतार जस्सीपुरा मोड तक पहुुंच गई। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण कई-कई कतारे लगाई गईं।
भगवान दूधेश्वर के दर्शन व जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं को कतार में घंटों में इंतजार करना पडा। कतारों में लगे श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव, बोल बम व भगवान दूधेश्वर के जयकारों से मंदिर परिसर ही नहीं आसपास के क्षेत्र को भी गुंजायमान कर दिया। जलाभिषेक के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना आए, इसके लिए जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारी व्यवस्था में लगे रहे। मंदिर के स्वयंसेवकों ने भी सहयोग किया। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि व्यवस्था की देखरेख के लिए मंदिर में अधिकारियों का जमावडा लगा रहा।
आईजी, डीआईजी समेत अनेक अधिकारी रात भर मंदिर मौजूद रहे और व्यवस्था पर नजर बनाए रहे। बारिश में भीगते हुए अधिकारियों व पुलिसकर्मियों ने सभी सुविधाओं का इंतजाम कराया। श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि भगवान शिव को सावन मास बहुत प्रिय है। सावन मास में प्रत्येक दिन ही उनकी पूजा अर्चना करने का महत्व है लेकिन सोमवार को पूजा.अर्चना का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसी के चलते सावन के प्रत्येक सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में हजारों शिवभक्त हर सोमंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया किमवार को भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करते हैं। सावन के पहले सोमवार को भारी बारिश के बावजूद जलाभिषेक के लिए गाजियाबाद ही नहीं देश के विभिन्न शहरों से भी श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। बडी संख्या में कांवडियों ने भी भगवान दूधेश्वर के दरबार में मत्था टेका व भगवान का जलाभिषेक किया और पवित्र गंगा जल लाने के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश आदि तीर्थ स्थलों के लिए रवाना हो गए। मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि सावन के पहले भगवान दूधेश्वर का विशेष श्रृंगार व रूद्राभिषेक किया गया। आरती के बाद भगवान को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया।