यदि कही भी अवैध निर्माण होता है तो इलाके के सुपरवाइजर को सबसे पहले इसकी जानकारी मिल जाती है। उसके बाद वह इसकी जानकारी इलाके के जेई को देता है। जेई प्लॉट और वहां बनाए जाने वाले फ्लैट के हिसाब से रेट तय करता है। रेट तय हो जाने के बाद काम शुरू हो जाता है। इसमें भी जीडीए के अधिकारी सिर्फ छत डाले जाने तक की ही जिम्मेदारी लेते हैं, उसके बाद अगर कोई ऐक्शन होता है तो उनकी जिम्मेदारी उनकी नहीं होती है। कई बार बिल्डर को यह भी बता दिया जाता है कि कार्रवाई करने के लिए उसकी बिल्डिंग सील करनी पड़ेगी, लेकिन कुछ दिनों बाद सील खुलवा दी जाती है।साइज के हिसाब से सेटिंग कर प्राधिकरण के कर्मचारी दाम लेते हैं और निर्माण करने की छूट दे देते हैं। हर फ्लोर की छत पड़ने पर सुपरवाइजर, जेई और अन्य अधिकारियों तक उनका हिस्सा पहुंच जाता है।
डीएलएफ कॉलोनी में प्राधिकरण के कर्मचारियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से हो रहा अवैध निर्माण
जनसागर टुडे
गाजियाबाद-विकास प्राधिकरण गाजियाबाद के उपाध्यक्ष द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी हालत में कोई भी अवैध निर्माण ना हो पाए लेकिन इसके बावजूद भी प्राधिकरण के अधिकारी अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों के साथ मिलीभगत कर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं !
प्रवर्तन जोन 8 के अंतर्गत आने वाले डीएलएफ कॉलोनी में जीडीए अफसरों के साथ सेटिंग कर बिल्डरों ने बिना नक्शा पास कराए कई इलाकों में 5-5 मंजिला इमारतें खड़ी कर दी हैं। फ्रीहोल्ड वाले इलाके में निर्माण कार्य तो जीडीए के नए बायलॉज के तहत किए गए, लेकिन नक्शा पास नहीं कराया गया। नाम न छापने की शर्त पर एक जीडीए अधिकारी ने बताया कि अवैध निर्माण की सारी जानकारी इलाके के सुपरवाइजर के जरिये जेई को मिल जाती है। फ्लैटों की संख्या के हिसाब से जेई रेट तय करता है और बिल्डर मनमाफिक निर्माण करता है। डीएलएफ कॉलोनी में b-35 में भी बिल्डर द्वारा प्राधिकरण के मानकों के विपरीत अवैध निर्माण किया गया है जबकि प्राधिकरण की थी और सुपरवाइजर को इस बात की पूरी जानकारी है लेकिन फिर भी बिल्डर के साथ सांठगांठ होने के कारण वह चुप्पी साथ कर बैठे हुए हैं !