जन सागर टुडे
गाजियाबाद- वरिष्ठ समाजसेवी सिकंदर यादव ने कहा कि केजीएफ सीरीज की दूसरी फिल्म लगातार रिकॉर्ड बना रही, अभी तक देखे तो ये फिल्म 800 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर चुकी है, पहले पार्ट की तरह ही ये बॉक्स ऑफिस पर लगातार नए कीर्तिमान बना रही है, एक तरफ कोविड के बाद सिनेमा इंडस्ट्रीज के लिए ये जीवनी बनकर आई है, वहीं दूसरी तरफ बॉलीवुड के लिए खतरे की निशानी बन रही। क्योंकि हिंदी सिनेमा के वर्चस्व को दक्षिण भारतीय सिनेमा लगातार चुनौती दे रहा है, बाहुबली व केजीएफ इसका उदाहरण है, केजीएफ चैप्टर 2 की बात करें तो कमजोर कहानी के बावजूद उच्च स्तरीय एक्शन व संजय दत्त व रवीना की एक्टिंग इसका प्लस प्वाइंट बन रहा है। सवाल यह उठता है कि भारतीय दर्शक इसको क्यों इतना पसंद कर रहे हैं जबकि ये मूलतः कन्नड़ में बनी है इसका एक कारण कोलार गोल्ड फील्ड से जुड़ी होने के कारण लोग इसे वास्तविक कहानी मान रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है कोलार गोल्ड फील्ड कर्नाटक में स्थित है और 30 वर्षों से बंद है। इसकी खुदाई सर्वप्रथम अंग्रेजों ने कराई थी कहानी का नायक खान मजदूरों को गुलामी के जीवन से अच्छे जीवन की तरफ ले जाता है, इसकी कहानी स्पार्टाकस एक गुलाम ग्लेडिएटर से प्रभावित लगती है, जिसने अफ्रीका की खानों में काम करने के बाद रोमनों द्वारा उसे ग्लेडिएटर के रूप में खरीदा था। स्पार्टाकस नाम का यह खान मजदूर एक शक्तिशाली योद्धा बना और उसने गुलामों को रोमन साम्राज्य के प्रति विद्रोह के लिए प्रेरित किया और गुलामों की फ़ौज बनाकर उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली रोमन साम्राज्य की सेना को बुरी तरह परास्त किया। दुनिया में ये अपने आपका अलग विद्रोह था, जिसमें गुलामों ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना को नाको चने चबा दिए, स्पार्टाकस को लेकर कई नोवल व फिल्में बनी हॉलीवुड में तो काफी सफल रही। केजीएफ के नायक में भी उसकी छवि दिखाई देती है फिल्म का नायक एक विद्रोही नौजवान के रूप में दिखाया है, जिसे अपनी मां से किया वादा पूरा करना है किसी भी कीमत पर। फिल्म भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर बन सकती है, दीवार की तरह।