जनसागर टुडे
गाजियाबाद- उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजसेवी अजय गुप्ता ने कहा कि
कुछ बुद्धिजीवी वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है,जिन्हें विधानसभा वालों ने ठुकराया,उनको राज्यसभा वालों ने अपनाया,मेरे लिए तो विधानसभा वाले भी आदरणीय हैं,और राज्यसभा वाले भी आदरणीय हैं,हमने तो आइना दिखाना है,पिछले कोरोना महामारी के तांडव के दौरान,शहर के नागरिकों ने क्या खोया,और विधानसभा वालों के प्रतिनिधियों ने क्या पाया,जनता की जान की कीमत उन लोगों के सामने कुछ नहीं, जिनके लिए सिर्फ दौलत बटोरना ही उनका परम उद्देश्य था,जीवन रक्षक रेमदेसीविर नाम के इंजेक्शन की भरपूर कालाबजारी की गई,और उनके आकाओं ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी, कोई कहने सुनने वाला नहीं था,क्योंकि जिस परिवार पर बिजली गिरती है,उस परिवार से पूछो,उसके गमों का हिसाब क्या है,धन दौलत सभी रखी रह जाती है,कोई साथ लेकर नहीं जाता,जिंदगी के रंगमंच पर किरदार ऐसा निभाओ,कि परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें,कोई गिरने में राजी तो,कोई गिराने में राजी,गिर कर संभल जाए,वही जीतता है बाजी,वक्त ने दिखाई थी सब की असलियत,वरना हम तो वो थे,जो हर किसी को अपना कहा करते थे,हमारी सोच ही हमारे जीवन में दुख सुख का निर्माण करती है,इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच ही रखें,अगर दुनिया आप की क्षमता पर संदेह करें,तो दुखी नहीं होना चाहिए,क्योंकि संदेह सोने की शुद्धता पर ही किया जाता है,लोहे की नहीं,अगर कोई सत्य को सत्य नहीं कह सकता तो,उसमें और मरे हुए व्यक्ति में क्या फर्क है,यहां तो आलम यह है दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साजिश,मैं पहुंचा तो वह बोले यार तेरी उम्र बहुत लंबी है !