जन सागर टुडे संवाददाता : नरेश सिंघानिया
वसुंधरा, सेक्टर 15 की शिखर एनक्लेव सोसाइटी में बंदरों का आतंक चरम पर पहुंच गया है। यही कारण है कि लोग अब घरों के बाहर निकलने से डरने लगे हैं ताकि बंदरों के उत्पाद के कारण आए दिन होने वाले आर्थिक और शारीरिक नुकसान से बचा जा सके, बावजूद इसके लोग बंदरों का शिकार हो रहे हैं। कुल मिलाकर लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। यहाँ बंदर एक जगह एकत्रित होकर लोगों पर हमला कर देते हैं, बच्चों के हाथों से खाने का सामान झपट ले जाते हैं, घर के बाहर रखें हुए गमलों को तोड़ देते है, महिलाओं के हाथ से फल व सब्ज़ी के थैले छीन लेते हैं और कई बार तो बंदर घरों में घुसकर खाने-पीने का सामान तक उठा ले जाते हैं। बंदरों के उत्पाद को रोकने का दायित्व ग़ाज़ियाबाद नगर निगम का है, लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकारी अपने इस दायित्व को भूल चुके हैं। क्योंकि पहले इस प्रकार के अभियान को चलाकर बंदरों को पकड़कर दूसरे स्थानों पर छोड़ा जाता था। परंतु, अब ऐसा नहीं हो रहा है। नगर निगम के अधिकारी इस ओर कार्रवाई करने के बजाए चुप्पी साधे हुए हैं। इन्हें न तो लोगों की जान की फिक्र है और न ही आर्थिक नुकसान की। तभी तो अभियान के नाम पर सब चुप हैं। जब नगर निगम में बंदरों को पकड़ने की शिकायत की जाती है तो वह यह ज़िम्मेदारी वन विभाग की बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है और जब इस बाबत वन विभाग से संपर्क किया जाता है तो वह बंदरों को आवारा पशु बताकर उनको पकड़ने का ज़िम्मा नगर निगम का बता देता है। ऐसे में दोनों ही विभाग कार्यवाही न कर एक-दूसरे पर बंदरों को पकड़ने की ज़िम्मेदारी डाल बच निकलते हैं। हैरानी की बात है कि सितंबर 2020 में वन विभाग द्वारा नगर निगम को 2000 बंदरों को पकड़ने की अनुमति देने के बाद भी आज तक ग़ाज़ियाबाद नगर निगम एक भी बंदर नहीं पकड़ पाया। शिखर एन्क्लेव में बंदरों को पकड़ने को लेकर वन विभाग और नगर निगम के बीच तनातनी अभी भी कम नहीं हो रही हैं। दोनों ही विभागों की इस आपसी तनातनी में शिखर एनक्लेव में बंदरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। यहाँ घने व छायादार पेड़ होने के कारण अभी फ़िलहाल 15-20 बंदरों का समूह अपना आशियाना बनाए हुए हैं, जो आए दिन बच्चों व महिलाओं को घायल कर रहा है। पिछले एक साल में जन सुनवाई पोर्टल पर 8 बार शिकायत करने के बाद भी कोई हल न निकलने के बावजूद अब निवासियों द्वारा एक बार फिर से कल बंदरों को पकड़ने के लिए जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई है।