जन सागर टुडे : अर्जुन सिंह
बहसूमा। डी०पी०एम० पब्लिक स्कूल बहसूमा में आज रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय सचिव जगदीश त्यागी ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि झांसी की रानी वह भारतीय विरांगना थीं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए रणभूमि में हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे तथा भारत की स्वतंत्रता के लिए सन 1857 में लड़े गए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास इन्होंने अपने हाथ से लिखा था। हम सब के लिए उनका जीवन आदर्श के रूप में है। वह सर्वोच्च नारी शक्ति की प्रतीक थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और वीरता पर लिखी प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की यादगार कविता आज भी युवाओं को देशभक्ति के जज्बे से भर देने का काम करती है 18 जून नारी शक्ति की मिसाल देने वाली उसी रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी नायिका रही। जिनके पराक्रम और साहस का जिक्र आज भी समय-समय पर किया जाता है रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत के आगे कभी झुकना स्वीकार नहीं किया और आखरी दम तक झांसी की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ते रही 18 जून के दिन ही उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था विद्यालय के प्रधानाचार्य जिया जैदी ने बताया कि रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कांशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ था। 18 जून 1858 को ग्वालियर का अंतिम युद्ध हुआ और रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया और वह इसमें घायल हो गई। तथा अंत में वीरगति को प्राप्त हो गई।
इस अवसर पर विद्यालय कोऑर्डिनेटर अनुज त्यागी, अमित गुप्ता, मुकुल त्यागी, विशाल, अमित शर्मा, तनवीर, रीता यादव, हरनीत, हिमानी, विनीता आदि अध्यापक मौजूद रहे।