जनसागर टुडे संवाददाता अर्जुन सिंह
बहसूमा। हिंदू धर्म के अनुसार वट सावित्री पूजन का अलग महत्व है यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है आज ही के दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे। यमराज ने चने के रूप में प्राण वापस किए थे बृहस्पतिवार को कस्बा बहसूमा क्षेत्र में वट सावित्री पूजन मनाया जा रहा है करो ना कॉल के बावजूद न सिर्फ मंदिरों में सुबह से ही महिला भक्तों की भीड़ लगी दिखाई दी बल्कि वटवृक्ष की भी धूमधाम से पूजा की जा रही है इस बार वट सावित्री पूजन के दिन सूर्य ग्रहण भी है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती है इस व्रत को जेठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है माना जाता है कि इस दिन अपने मृत पति को पुनः जीवन प्रदान करने के लिए सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की थी इस प्रार्थना से प्रभावित होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस दिए थे। इसी के साथ यमराज ने सावित्री को तीन वरदान मांगने के लिए कहा था इन्हें वरदानो के सहारे सावित्री ने अपने पति को जीवित करवा दिया था ऐसी मान्यता है कि सत्यवान के प्राण यमराज ने चने के रूप में वापस किए थे सावत्री ने इस चने को अपने पति के मुंह में रख दिया था जिससे सत्यवान जीवित हो गए यही कारण है कि इस वृत में चने का विशेष महत्व है। वट सावित्री व्रत उत्तर भारत के कई इलाकों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में मनाया जाता है । वही व्रत महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यो में इसके 15 दिन बाद यानी ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को रखा जाता है।