जन सागर टुडे संवाददाता
ग़ाज़ियाबाद ; डॉ ब्राजपाल ने कहा डॉक्टर के अनुसार, COVID-19 रोगियों में सफेद फंगस होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि यह फेफड़ों को प्रभावित करता है और इसी तरह के लक्षण कोरोनावायरस की तरह पैदा होते हैं।“जिन लोगों की प्रतिरक्षा कमजोर होती है जैसे मधुमेह, कैंसर के रोगी, और जो लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे हैं,
उन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उनमें जोखिम अधिक होता है। यह उन कोरोनावायरस रोगियों को भी प्रभावित कर रहा है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं । इसका नूमोन्या करोना की तरह होता है । अगर किसी पेशंट में नूमोन्या के डोरान करोना नेगेटिव है तो वाइट फ़ंगस का नूमोन्या हो सकता है । जिसके लक्षण करोना से मिलते है । लेकिन इलाज मैं धरती आसमान का अंतेर है ।
डॉ ब्राजपाल ने आगे लोगों को स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी क्योंकि फ़ंगस तंग और आर्द्र स्थानों में बढ़ता है। उन्होंने बिना धुले फल, सब्जियां और दिनों तक रेफ्रिजरेट किए गए खाने से बचने की भी सलाह दी।
डॉ ब्राजपाल ने यह भी कहा कि लोगों को रोजाना अपने मास्क धोना चाहिए या नए मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। डॉ ब्राजपाल ने कहा, “सफ़ेद फ़ंगस तंग और आर्द्र स्थानों में उगता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास नियमित रूप से साफ-सफाई होती है।
कई दिनों तक रेफ्रिजेरेटेड खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें, ताजे फल खाएं, अपने घर में धूप आने दें और अपने मास्क को रोजाना धोएं।” कई संक्रमणों की तरह, एक सफेद कवक संक्रमण एक कम प्रतिरक्षा सीमा वाले व्यक्ति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। इस प्रकार, कम-प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति, या पहले से ही अन्य सहवर्ती रोगों के जोखिम में, या प्रतिरक्षा-दमनकारी दवाओं का उपयोग करने से सफेद कवक संक्रमण को पकड़ने का एक उच्च जोखिम होता है।
मधुमेह, कैंसर और अन्य कॉमरेडिडिटी जैसी स्थितियों से पीड़ित लोग, जिन्हें लगातार स्टेरॉयड के उपयोग की आवश्यकता होती है, उन्हें भी संक्रमण को पकड़ने के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
कुछ रिपोर्टें यह भी बताती हैं कि महिलाओं और बच्चों को संक्रमण के अतिरिक्त जोखिम का सामना करना पड़ता है, जो पहले काले कवक संक्रमण के साथ नहीं देखे गए थे। इसका इलाज काले फ़ंगस से सस्ता होता है लेकिन अगर डाययग्नोसिस बन जाये। इसकी दवाई भी गुर्दे को amphoteracin b की तरह ख़राब नाहीं करती ।