जनसागर टुडे : धीरेन्द्र अवाना
नोएडा । नोएडा प्राधिकरण ने भूमि अधिग्रहण के मामलों में हेराफेरी करने वाले दो कर्मचारी व एक महिला के खिलाफ थाना सैक्टर 20 में रिपोर्ट दर्ज कराई है।आरोप है कि नोएडा प्रधिकरण में तैनात विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह और तत्कालीन सहायक विधिक अधिकारी वीरेंद्र सिंह नगर ने एक महिला के साथ मिलकर नोएडा के गेझा गांव में जमीन अधिग्रहण में फर्जीवाड़े करके नोएडा प्रधिकरण को 12 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।
आपको बता दे कि पुलिस ने जानकारी दी कि नोएडा प्राधिकरण की विधिक अधिकारी सुशील भाटी ने पुलिस को तहरीर दी है कि वर्ष 1982 में राजस्व गांव गेझा तिलपताबाद निवासी फुदंन की जमीन को अधिकृत किया गया था। इसके बाद उसने मुआवजे से असंतुष्ट होकर जिला कोर्ट में याचिका दायर की थी।वर्ष 1993 में कोर्ट ने मामले का निस्तारण किया था।इस मामले में 2015 में फुंदन की एकलौती बेटी रामवती की ओर से मुआवजे को को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की गई थी।इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले को खारिज कर दिया था।
आरोप है कि रामवती ने मामले को हाईकोर्ट में लंबित बताकर प्राधिकरण के सीईओ को समझौते के लिए आवेदन दिया था। इस मामले को तत्कालीन सहायक विधिक अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर के पास भेजा गया था।उन्होंने इसे विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह को अग्रसारित कर दिया था।इन दोनों ने फर्जीवाड़ा करते हुए प्राधिकरण को करीब 12 करोड़ का नुकसान पहुंचा था।फिलहाल पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।थाना सैक्टर-20 प्रभारी ने बताया कि इन लोगों ने फर्जीवाड़ा करते हुए प्राधिकरण को 12 करोड रुपए का नुकसान पहुंचाया।
थाना प्रभारी ने बताया कि तहरीर देने वाले अधिकारी का आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने गलत तरीके से जांच को आगे बढ़ाया और रामवती की हाईकोर्ट की याचिका को लंबित बताकर उसे बढ़ा हुआ मुआवजा दिलवा दिया।जबकि रामवती की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस ने विधि अधिकारी अधिकारी सुशील भाटी की शिकायत पर प्राधिकरण के विधि सलाहकार अधिकारी दिनेश कुमार सिंह तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी विजय वीरेंद्र नगर और रामवती के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कर ली है।नोएडा प्राधिकरण के सूत्रों का दावा है कि दरअसल कल जो रिपोर्ट दर्ज की गई है।
सूत्रों की माने तो नोएडा प्राधिकरण ने उसकी तहरीर दो महीने पहले थाने में दी थी लेकिन दो महीने के बाद रिपोर्ट दर्ज होना पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्व चिन्ह उठाती है।पुलिस की माने तो धारा 420 या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामलों में ऊपर से अनुमति लेकर ही मामला दर्ज करना पड़ता है।वही सूत्रों का कहना है कि अदालत में मामला लंबित बताकर मुआवजे की मोटी रकम भुगतान करने के 65 मामले अभी तक उजागर हो चुके हैं।जिसमें 100 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है।लेकिन रिपोर्ट दर्ज केवल एक ही प्रकरण की हुयी है।