जनसागर टुडे संवाददाता
वक्री शनि में आएगी कोरोना केसों में कमी, किंतु उपद्रव,हिंसक अराजकता और प्राकृतिक घटनाएं बढ़ेंगी
निष्पक्ष न्याय कर्ता शनि देव मकर राशि में 23 मई को वक्री होंगे। चित्रा नक्षत्र में अपराहन 14:50 बजे शनि वक्री जाएंगे । वक्री का अर्थ होता है उल्टी गति से चलना । शनिदेव 23 मई से पुनः उल्टी गति से चलना आरंभ होंगे। मकर राशि में19:22 डिग्री पर अवरोही क्रम में घटना आरंभ होगा। 144 दिन वक्री रहकर 11 अक्टूबर 2021 को पुनः मार्गी होंगे।
वक्री शनि के शुभ अशुभ प्रभाव
वक्री शनि में कोरोना के केसों में कमी आ जाएगी। 24 जनवरी 2020 को मकर राशि में शनि के आने से यह महामारी भारत में आरंभ हुई थी। जो थोड़ी बहुत कमी बेशी के साथ चली आ रही है। शनि के वक्री काल की समाप्ति तक अर्थात 11 अक्टूबर तक कोरोना का प्रभाव समाप्त हो जाएगा। तीसरी लहर कभी नहीं आएगी।
क्योंकि अब शनि की वक्री गति आरंभ हो गई है। 144 दिन की अवधि तक शनि वक्री चाल में रहेगा। कोरोना के केसों को बहुत अधिक मात्रा में कम कर देगा।
वक्री शनि राजनीति क्षेत्र में उठापटक जारी रखेगा। आरोप-प्रत्यारोप, एक दूसरे की प्रतिष्ठा को गिराने की कोशिश लगातार चलती रहेंगी। प्राकृतिक रूप से यह समय अच्छा नहीं रहेगा। बेमौसम वर्षा ,ओले, आंधी, चक्रवात ,तूफान , भूकंप आदि लगातार आते रहेंगे। तूफान दर तूफान आने के भी संकेत हैं।
वर्तमान मौसम का यह मिजाज या घटनाक्रम शनि के वक्री होने से 10 दिन पहले ही आरंभ हो गया था।शनि और बुध के वक्री ,मार्गी ,उदय, अस्त होने का समय मौसम अवश्य ही बहुत खराब रहता है।यह शास्त्रीय वचन तो है ही और अनुभूत भी है। जिन राशियों में शनि की ढैया अथवा साढेसती चल रही है ।उनको विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है।
मिथुन राशि, तुला राशि वालों के लिए शनि की ढैया चल रही है । इन दोनों राशि वाले अब शनि के वक्री काल में थोड़ी सावधानी रखें। अभी शनि के वक्री काल में आर्थिक, व्यवसायिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सावधान रहने की आवश्यकता है।
धनु ,मकर और कुंभ राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती चल रही है। इन राशि वालों को भी स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों के जीवन की तीसरी साढ़ेसाती चल रही है अर्थात जिनकी आयु 70 साल से ऊपर हो चुकी है ।उनको विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
ऐसा माना जाता है कि जीवन में शनि की साढ़ेसाती 3 बार आती है और तीसरी साढ़ेसाती व्यक्ति को वृद्धावस्था में आती है जो व्यक्ति को शारीरिक रूप से हानि पहुंचाने के साथ साथ जीवन के यह भी विशेष हानिकारक हो सकती है। कोराना काल में जो मृत्यु हुई है, उनकी कुंडली के अध्ययन के दौरान एक बात सामने आई है ।
जिनकी आयु 60 साल से ऊपर है और शनि की ढैया ,साढ़ेसाती ,महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यन्तरदशा चल रही थी। वे ही अधिकतर इसके शिकार बने हैं। 60 वर्ष की कम आयु के लोगों में यह देखने में आया कि उनके कुंडली के अनुसार मार्केश चल रहे थे। जो जीवन के लिए घातक सिद्ध हुए।