ऑन लाइन शिक्षा के अनुसार फीस निर्धारण की मांग पर चुप्पी साध 20 मई से स्कूलो को ऑनलाइन क्लास शरू करने को दी हरी झंडी
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद: पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा जी के स्कूलो की ऑनलाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारित करने के आदेश जारी किये बिना ही 20 मई से ऑनलाइन क्लास शरू करने के आदेश पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुये कहा जहाँ एक तरफ कोरोना वैश्विक महामारी ने समस्त देश मे पिछले डेढ़ साल से प्रचंड कहर बरपाया हुआ है लाखो लोग मौत के मुह में समा रहे है जिसके कारण पिछले लगभग 15 महीने से प्रदेश के स्कूल बंद है और इतने लंबे समय से स्कूल बंद होने के बाद भी अभिभावको से पूरी फीस वसूली की जा रही है।
प्रदेश के अभिभावक जहाँ कोरोना की पहली लहर से लगभग टूट चुके थे वही दूसरी लहर ने पेरेंट्स की कमर ही तोड़ दी है। नौकरी चली गयी हैं, लाखो लोगो के रोजगार छूट गये हैं या ठप्प पड़े हैं, पिछले लंबे समय से प्रदेश में निजी स्कूल बंद होने के बाद भी लगातार पूरी फीस उगाही कर रहे है और प्रदेश के अभिभावको का शोषण करने से बाज नही आ रहे है
अब प्रशन यह उठता है कि अगर प्रदेश के निजी स्कूलो के पास अपने स्टाफ और टीचर्स को देने के लिए फण्ड नही है तो यह संस्थान प्रदेश सरकार से निजी स्कूलों के लिए एक आर्थिक पैकेज की मांग क्यो नही करते जब स्कूल सोसाइटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन होने के बाद और करोड़ों रुपये सरप्लस फण्ड होने के बाद भी अपने स्टाफ और टीचर की सैलरी नही दे पा रहे तो अभिभावक जिनको अपने परिवार का ही लालन पोषण करने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है वो स्कूलो की मोटी फीस कहाँ से दे?
यह बात ना तो प्रदेश सरकार समझने के लिए तैयार है और ना ही प्रदेश के निजी स्कूल संचालक लेकिन मजे की बात यह है कि अभिभावको की लाख गुहार लगाने के बाद भी प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर कुछ बोलने के लिए तैयार नही और नेताओ ,जनप्रतिनिधियों , शिक्षा मंत्री और शिक्षा अधिकारियों सहित खुद प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे है और एक बार फिर प्रदेश के अभिभावको की ऑनलाइन लाइन क्लास के अनुसार जायज फीस निर्धारण की मांग को दर किनार करते हुये बच्चो की शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी की आड़ लेते हुये और निजी स्कूलों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुये प्रदेश के स्कूलो को 20 मई से ऑन लाइन क्लास शरू के आदेश जारी कर दिए है जिसको लेकर अभिभावको में रोष व्याप्त है।
जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने बताया कि सत्ता में आने से पहले सभी नेताओ को जनता की पीड़ा में सच्चाई नजर आती है लेकिन सत्ता में आने के बाद जब ये नेतागण मुख्यमत्री , शिक्षा मंत्री और सांसद और विधायक जैसे अहम किरदार में आते है तो जनता के दर्द औऱ पीड़ा लाख गुहार लगाने के बाद भी नजर नही आती है और एक विशेष वर्ग (पूंजीपतियों) की गोद मे जाकर बैठ जाते है
और पूरे पांच वर्ष उनके हितो को साधने में लगा देते हैं। सीमा त्यागी ने बताया कि अब सरकार को जगाने के लिए जन जागरण ही एक रास्ता नजर आता है जिसके लिये जीपीए ने व्यापक स्तर पर तैयारी शरू कर दी है जब तक सरकार इस गंभीर मुद्दे का समाधान नही निकालती जीपीए और प्रदेश के अभिभावक हार नही मानेंगे।
वहीं जीपीए के प्रवक्ता विनय कक्कड़ ने कहा अगर सरकार इस तरह पेरेंट्स की आवाज को दर किनार कर अभिभावको के प्रति उदासीन बन निजी स्कूलो को आर्थिक लाभान्वित करने की मंशा से एकतरफा निर्णय लेती रही और जल्दी ही इस गंभीर मुद्दे का समाधान नही निकाला तो इसका असर राजनीतिक दलों को 2022 की चुनाव परीक्षा में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा।