कोरोना कहर थमने के बाद डेथ सर्टिफिकेट को लेकर सीन हो जाएगा बहुत ही विचित्र
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद । कोरोना कहर में आंकड़ों के खेल की चर्चा सभी ओर सुनाई दे रही है। अब पब्लिक के बीच चर्चा है तो कुछ तो जरूर है। चर्चा ये भी है कि अधिकारी सही स्थिति को अलग रखकर आंकड़ों के जरिए सीन को सुखद दिखाना चाह रहे हैं। मगर जो दुखद घटनाक्रम मौतों का हुआ है उससे बचा नहीं जा सकता और नगर निगम ने कोरोना कहर में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम ही बंद कर दिया।
विगत 15 दिनों से अधिक समय से निगम ने मृत्यु प्रमाण पत्र ही नही बनाए। मंगलवार को जरूर यह पता चला कि नगर निगम ने आॅनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन नगर निगम इस बात को समझ ले कि आने वाले समय में उसके लिए स्थिति विचित्र हो जाएगा और यहां नियम को करुणा के बीच जंग होनी है। निगम अपनी जगह सही होगा और वो नियम बताएगा।
पब्लिक अपनी जगह सही होगी और वो व्यथा बताएगी। भविष्य में डेथ सर्टिफिकेट को लेकर एक बड़ी गफलत आ सकती है। कोरोना आपदा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है। ये ऐसा विषय है जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया। जब नगर निगम को मृत्यु प्रमाण पत्र अलग से काउंटर चलाकर बनाने थे तब उसने यह काम बंद कर दिया। सूत्र बताते हैं कि इस काम से जुड़े एक अधिकारी ने कई नेताओं के कहने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। बताया जाता है ।
कि जब एक भाजपा नेता ने इस अधिकारी से मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने को कहा तो अधिकारी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि अभी तो कार्यालय ही बंद है। जबकि अन्य काम हो रहे थे। अब बताया जा रहा है कि गफलत बढ़ रही है क्योंकि कोरोना आपदा काल में कोविड आपदा में मारे गए लोगों का दाह संस्कार कहीं पर विद्युत शवदाह गृह में हुआ है और कहीं उन्हें अलग प्लेटफॉर्म पर फूंका गया है। कितने ही मामले ऐसे हैं जो बृजघाट गए और वही दाह संस्कार हुआ।
जब इन दिवंगतों के परिजनआएंगे तो शोक की घड़ी में आॅफिस- आॅफिस गेम शुरू हो जाएगा। जनता की भाषा में निगम वाले उन्हें चक्कर कटाएंगे और निगम वालों की मजबूरी ये होगी कि वो बिना नियम के प्रमाण पत्र नहीं बनवाएंगे। यहां पर रसीदों से लेकर दाह संस्कार स्थल तक कई पेंच फंस सकते हैं। निगम अधिकारियों को पहले ही दूरदर्शिता से काम लेना चाहिए था।