जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद : नगर निगम वार्ड नंबर 39 के पार्षद एवं भाजपा नेता हिमांशु लव का कहना है कि भारत में स्कूल जाने वाले करीब 26 करोड़ छात्र हैं. ज़ाहिर है, ऑनलाइन क्लासेस के ज़रिए शहरों में स्कूलों के नए एकेडमिक सेशन शुरू हो गए हैं, जबकि आर्थिक रूप से कमज़ोर और ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले छात्र इस मामले में कहीं पीछे छूट रहे हैं. कोई नहीं जानता कि देश कोरोना से ख़तरे से निकलकर कब सामान्य ज़िंदगी में आएगा, ऐसे में अब सरकार के सामने ये चुनौती है कि वो स्कूल के इन छात्रों को कैसे साथ लेकर चलेगी.
जिनके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट नहीं उन तक कैसे पहुंचे शिक्षा? लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में मोबाइल एप्लिकेशन आधारित शिक्षण व्यवस्था भारत जैसे देश में कैसे बड़ी तादाद में बच्चों तक पहुंच सकती है जिनके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट नहीं उन तक कैसे पहुंचे शिक्षा।
43% लोगों के बच्चों के पास ऑनलाइन क्लासेस के लिए उनके पास कम्प्यूटर, टेबलेट, प्रिंटर, राउटर जैसी चीज़ें नहीं है।आर्थिक रूप से कमज़ोर स्कूली बच्चे. लैपटॉप, टेबलेट जैसे उपकरणों के आभाव में वो ऑनलाइन पढ़ाई में कहीं पीछे छूटते दिख रहे हैं . मेरा व्यतिगत सुझाव है कि जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और जो इंटरनेट एक्सेस नहीं कर सकते हैं , स्थानीय प्रशासन की तरफ से ऐसे परिवारों के बच्चों को छोटा-मोटा एजुकेशनल किट बनाकर देना चाहिए, जो उनके घर में जाकर दिए जाएं. इसकी भाषा आसान हो, जिसमें गणित या विज्ञान जैसे विषयों की आसान वर्कशीट्स हो.जिससे आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे भी अच्छे से पढ़ाई कर सकें।