Sunday, November 24, 2024
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कोविड VDIS लाये सरकार

जनसागर टुडे संवाददाता

देश में फैली कोरोना वायरस महामारी ने देश में जान व माल की भारी हानि की है, लाखों लोग इससे अभी भी जूझ रहे हैं, ऐसे, देश की आर्थिक स्थिति पर भी, इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं, मध्यमवर्ग, इस महामारी के कारण आयी आर्थिक मंदी की, सबसे ज्यादा चपेट में आया है, आज भारत का मिडिल क्लास चाहे वो व्यापारी हो या नौकरी पेशा उस पर पिछले वर्ष से बहुत मार पड़ी है, आर्थिक रूप से लोगों के पास जो बचत थी वो 1 वर्ष में पूरी तरह समाप्त हो गयी और उसके खर्चे व देयता अभी भी बरकरार है, बैंकों की किस्ते, मकान का किराया, स्कूल की फीस व अन्य खर्चे उसके सर पर तलवार की तरह लटक रहे हैं, पिछले वर्ष सरकार ने 6 माह का बैंक का मोरेटोरियम दे दिया था, कुछ बैंकों ने लोन अमाउंट के साथ-साथ किस्त का अमाउंट भी बढ़ा दिया, इस बार सरकार अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं लायी है, क्योंकि बैंकों का भारी दबाव सरकार के ऊपर है, नोटबंदी के बाद से, सरकार की खुद हालत खराब है, ऐसे में महामारी से निपटने के लिए सरकार को अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी,यदि सरकार 1997 की तर्ज पर (Voluntary Disclosure of Income Scheme) VDIS ले आये, आकर्षक स्लेब के साथ, तो उम्मीद है बड़ी संख्या में भारत के अमीर लोग इसका लाभ ले सकेंगे और सरकार के पास भी अतिरिक्त पैसा आ जाएगा, इस महामारी से लड़ने का, परंतु यह स्कीम तभी सफल होगी जब सरकार की तरफ से पूरी गोपनीयता व सुरक्षा का आश्वासन पूंजीपति व व्यवसाय को दिया जाये, यदि कोई व्यक्ति अपना 100 रुपया काला धन घोषित करता है, तो उस पर 20 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक टैक्स लगाकर उसे घोषित आय मान लिया जाये, इससे दो फायदे होंगे एक तो सरकार पर धन आएगा दूसरा जो व्यक्ति अपने धन को वाइट करेगा वो धन बाजार में पूंजी के रूप में आ जाएगा, जिससे देश की आर्थिक गति बढ़ेगी निश्चित रूप से ये एक प्रभावी कदम होगा यदि घोषित करने वाले व्यक्ति को सरकार पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दे, इसके साथ-साथ और उपाय बैंक द्वारा किए जा सकते हैं,1सभी क्रेडिट कार्ड धारकों की लिमिट बैंक द्वारा 20फीसदी से 50 फीसदी तक बढ़ा दी जाए2- बैंकों द्वारा लोन की शर्तों में फ्लैक्सिबिलिटी दी जाये3- 700 से ऊपर सिविल वालों को बिना ज्यादा डॉक्यूमेंट के 1 लाख से 5 लाख तक का पर्सनल लोन दिया जाये4- प्राइवेट स्कूल की फीस ऑनलाइन पीरियड में 50 फीसदी  तक कम ली जायेक्योंकि युद्ध काल में सरकारों द्वारा विशेष कदम उठाने की पावर उन्हें होती है वो इस महामारी को युद्ध मानकर सरकार को मध्यम वर्ग के लिए विशेष कार्य करना चाहिए क्योंकि इस देश की रीड मध्यम वर्ग है जो आज महामारी, आर्थिक दोनों मोर्चों पर जूझ रहा है

लेखक: वरिष्ठ समाजसेवी सिकंदर यादव
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