गाजियाबाद : डासना मंदिर महंत यति नरसिंघानन्द सरस्वती जी ने बीते कुछ समय मे मुस्लिम धर्म के बारे में अपने विचार व्यक्त किये जिसे लेकर सर तन से जुदा, तन सर से जुदा की घोषणाएं सार्वजनिक रूप से की गई। अमानतुल्लाह खां दिल्ली विधायक के कहने पर एक मुहिम भी चलाई गई जिसमें सरकार पर ये दवाब बनाए जाने की कोशिश की गई कि यति महाराज की गिरफ्तारी हो पर सरकार उन मांगो के आगे झुकी नहीं।
जिसके फलस्वरूप मुस्लिम समाज के कई नेताओं व मौलानाओं ने घोषणा कर दी कि यदि गिरफ्तारी नहीं हुई तो यति महाराज की गर्दन उनके तन से जुदा कर दी जाएगी। जिसके तहत दिल्ली पुलिस ने नया खुलासा करते हुए जैश ए मोहम्मद संगठन के सहयोगी की गिरफ्तारी की जिसको संगठन की तरफ पिस्टल, कारतूस, भगवा वस्त्र आदि बरामद किए गए जिनका उपयोग यति महाराज की हत्या में होना था।
ये दिल्ली पुलिस व खुफिया एजेंसियों की सतर्कता ही है कि इस बड़ी घटना को घटित होने से बचाया जा सका जिसके लिए दिल्ली पुलिस की पूरी टीम बधाई की पात्र है। परन्तु प्रश्न अब भी वही खड़ा है कि क्या ये हत्या आँकवादी संगठन करवा रहा था या वो कट्टरपंती सोच करवा रही थी।
जिसके तहत कमलेश तिवारी की पूर्व में हत्या हुई एवम उसी मानसिकता के चलते भारत के ही बडे बडे मौलानाओं व नेताओं द्वारा ये घोषणा की गई कि यदि भारत मे शरीयत कानून होता तो यति महाराज जैसे लोगो की जीभ काट दी जाती या गर्दन उतार दी जाती।
तो क्या उन लोगो पर आतंकवादियों की तरह कार्यवाही नहीं होनी चाहिए जो इस तरह के विभत्स फरमान निकालते हैं। क्योंकि यति महाराज की सुरक्षा बढ़ाना एक पहलू अवश्य है पर जब तक गर्दन उतार देने वाली मानसिकता का नंगा नाच जो पिछले कई दशकों से चल रहा है उसे रोका नही जाएगा तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है।
अत: उत्तर प्रदेश शासन व प्रशासन बहुत बढ़िया काम कर रहा है जो कट्टरपंती सोच के आगे झुक नही रहा है पर अब इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि यति महाराज की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ उन लोगो के प्रति भी कठोर कार्यवाही हो जिनकी घोषणाओं के बाद अब जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन का समर्थक की संलिप्ता भी यति महाराज की हत्या के षड्यंत्र में पायी जाती है एवम उसकी गिरफ्तारी भी होती है।