जनसागर टुडे संवाददाता
अपने घटिया नज़रिये का अहसास हो जाने पर भी हम उसे बदलते क्यों नहीं.? वास्तव में यह मानव प्रवृत्ति है कि हमे कभी भी अपनी कोई भी कमी दिखाई नही देती। हम हमेशा दूसरों में ही कमियां ढूंढते रहते हैं। यह और कुछ नही वरन हमारा अपना अहं है, जो हमेशा स्वयं को स्थायी रूप से सही और दूसरों को गलत समझता है। इस खोखले और झूठे अहंकार के कारण ही हम अपनी स्वयं की कमियों का पता चलने पर भी उनके लिए दूसरों पर दोषारोपण हेतु उसके कारणों को भी बाहर ही ढूंढते है। यह प्रवृत्ति ही हमारे नकारात्मक होने का प्रमाण है, और अपने में विद्यमान इसी नकारात्मकता का हमे विरोध करना है। अपने आप से लड़ना है,
अपनी कमियों एवं दोषों को पहचानना है एवं उनका विष्लेषण करते हुए आत्मचिन्तन तथा अन्तर-अवलोकन करना है। अपने स्वयं के दोष ढूंढना यद्यपि सबसे कठिन कार्य है, किन्तु सब से अधिक साहसिक व सराहनीय कार्य यही है। सुप्रभात जी आपका आज का दिन अत्यन्त शुभ, सुखद, समृद्ध एवं कल्याणकारी हो। किसी से इतनी नफ़रत न करो के कभी मिलना पड़े तो मिल न सको ओर किसी से इतनी मुहब्बत भी न करो के कभी तन्हा रहना पड़े तो रह न सको